दिल्ली / 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में हुए हत्याकांड को 100 साल पूरे हो गए हैं, जब अंग्रेज़ों ने निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाईं थीं. जलियांवाला बाग की दीवारों पर आज भी गोलियों के निशान मौजूद हैं और इस निर्मम हत्याकांड की टीस आज भी लोगों के दिल में चुभती है। आज उसी जलियांवाला बाग नरसंहार की सौंवी बरसीं है। पूरा देश बलिदान देने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दे रहा है।
दरअसल 100 साल पहले बैसाखी के दिन जलियांवाला बाग में करीब 15 से बीस हजार हिंदुस्तानी नेताओं की गिरफ्तारी और रोलेट एक्ट के विरोध में शांतिपूर्ण सभा कर रहे थे। लेकिन ब्रिटिश सरकार के जल्लाद अफसर जनरल डायर अमृतसर के जलियांवाला बाग पहुंचा और 90 सैनिकों को डायर ने निहत्थे सभा कर रहे भारतीयों पर गोली चलाने का आदेश दिया, जिसमें बूढ़े, बच्चे, महिलाओं समेत कई लोगों की जान गई। कई लोग उस भीषण नरसंहार में अपनी जान बचाने को वहां बने कुएं में कूद गए। आज भी हर भारतीय के दिल में उस कांड की टीस है। लेकिन 100 साल बाद भी ब्रिटेन सरकार ने इसके लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया।