रायपुर / छत्तीसगढ़ के उद्योगपतियों को आस्ट्रेलिया व दक्षिण अफ्रीका से महंगी कीमत पर कोयला मंगाना पड़ रहा है। यह स्थिति तब है जब छ्त्तीसगढ़ में एसईसीएल की खदान हैं। यह जानकारी औद्योगिक संगठनों के पदाधिकारियों ने केंद्रीय इस्पात सचिव संजय कुमार सिंह के साथ सोमवार को आयोजित बैठक में दी। यहां उद्योगपतियों ने कोयला सहित अन्य कच्चे माल की समस्याओं से अवगत कराया। राजधानी के एक निजी होटल में आयोजित बैठक में उद्योग विभाग के आला अधिकारियों की मौजूदगी में औद्योगिक संगठनों के पदाधिकारियों ने कई मांगें रखी।
छत्तीसगढ़ रोलिंग मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने कहा कि रोलिंग मिलों को भिलाई स्टील प्लांट से प्रतिमाह 50 हजार मीट्रिक टन और नगरनार स्टील प्लांट से रोलिंग मिलों के लिए 60 से 75 हजार मीट्रिक टन प्रतिमाह कच्चा माल उपलब्ध होना चाहिए। प्रदेश के स्टील रोलिंग मिलों के लिए भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) के स्क्रैप या अन्य उत्पादों की बिक्री के लिए अलग से ई-नीलामी किया जाना चाहिए, ताकि इस नीलामी में राज्य के उद्योगपतियों को फायदा मिल सके। कार्यक्रम में एनएमडीसी के चेयरमेन सुमित डे,सेल-बीएसपी के डायरेक्टर अर्निबान दास गुप्ता,उद्योग विभाग के विशेष सचिव अनुराग पांडेय,उद्योग विभाग अतिरिक्त निदेशक प्रवीण शुक्ला सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
उद्योगपतियों ने कहा कि वर्तमान में बीएसपी की ई-नीलामी में दूसरे राज्यों के बड़े औद्योगिक घरानों की वजह से राज्य को स्क्रैप नहीं मिल पा रहा है। साथ ही राज्य में रोलिंग मिलों के लिए बिजली की दरें 5.50 रुपये प्रति यूनिट किया जाना चाहिए। कार्यक्रम के अंतर्गत इस्पात सचिव ने बताया कि एमएसएमई सेक्टर के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रारूप तैयार किया जा रहा है, जिसमें प्राप्त सुझावों को भी शामिल किया जाएगा।
कार्यक्रम में स्पंज आयरन एसोसिएशन और मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के पदाधिकारी भी शामिल हुए। स्पंज आयरन एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने बताया कि राज्य में एनएमडीसी और एसईसीएल के होने के बावजूद उद्योगों को आयरन ओर और कोयले की कमी से जूझना पड़ रहा है। मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के महासचिव मनीष धुप्पड ने कहा कि केंद्र सरकार को कोर श्रेणी के उद्योगों को लेकर नीतियां बनानी चाहिए, ताकि विषम परिस्थितियों में भी नीतियों के तहत लाभ मिल सकें। www.naidunia.com
