Friday, January 31, 2025
Uncategorized रमन सरकार की लापरवाही से 58 प्रतिशत आरक्षण रद्द

रमन सरकार की लापरवाही से 58 प्रतिशत आरक्षण रद्द

-

रायपुर/ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश में 58 प्रतिशत आरक्षण को रद्द कर दिया है। ये मामला 2011 में सरकारी नियुक्ति सहित अन्य दाखिला परीक्षा में आरक्षण से जुड़ा है। इस मामले में आज हाईकोर्ट ने 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण के असंवैधानिक बताते हुए आरक्षण को रद्द कर दिया। आपको बता दें कि 2011 में राज्य सरकार ने आरक्षण प्रतिशत बढ़ाया था, जिसे लकर 2012 में हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी। कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता आरपी सिंह ने आरक्षण को रद्द होने के लिए पूर्ववर्ती राज्य सरकार की अदूरदर्शिता को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि उस वक्त की रमन सरकार ने आरक्षण को घटाने और बढ़ाने को लेकर किसी भी तरह की नियमानुसार कार्यवाही नहीं की। सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों जिसमें इंदिरा साहनी का फैसला प्रमुख के अनुसार कोई भी राज्य सरकार यदि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण करती है तो अत्यंत विशेष परिस्थितियों, विचार एवं तथ्यों के साथ कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करना होगा। इसका भी ख्याल नहीं किया गया। आरपी सिंह ने तत्कालीन राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने आरक्षण में संशोधन के पहले सुप्रीम कोर्ट के पूर्ववर्ती फैसले को ध्यान में नहीं रखा। उन्होंने कहा कि बाद में दोबारा संशोधित जवाब पेश करते हुए कुछ डेटा प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया, लेकिन वो भी प्रर्याप्त नहीं थे।कांग्रेस नेता आरपी सिंह ने कहा कि आरक्षण का पूरा प्रकरण शुरू से ही अपाहिज बच्चे की तरह तत्कालीन राज्य सरकार ने खड़ा किया, जिसके ना तो हाथ थे और ना ही पैर। इस प्रकरण में जब राज्य सरकार की अंतिम बहस हुई तो खुद महाधिवक्ता मौजूद रहे थे। उन्होंने मंत्रीमंडलीय समिति की हजारों पन्नों की रिपोर्ट को कोर्ट में प्रस्तुत किया था। लेकिन कोर्ट ने ये कहते हुए उसे खारिज कर दिया कि राज्य शासन ने कभी भी उक्त दस्तावेजों को शपथ पत्र का हिस्सा ही नहीं बनाया। लिहाजा, कोर्ट ने उसे सुनवाई के लिए स्वीकार नहीं किया।आरपी सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने 2012 में डेटा कलेक्शन जो कि इंदिरा साहनी निर्णय के लिए आवश्यक था एवं विशेष परिस्थितियों में देखने, विचार करने और निर्णय के संदर्भ में पहुंचने की कोई भी कार्यवाही जांच नहीं की गयी।उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का आज का निर्णय तत्कालीन राज्य सरकार की तरफ से प्रस्तुत किये गये तथ्यों दस्तावेजों, शपथ पत्रों के आधार पर तय हुआ था। जिसमें मौजूदा राज्य सरकार का किसी भी तरह का हस्तक्षेप ना था और ना हो सकता था।

Latest news

वार्ड 18 में भाजपा का परचम, पूनम सोलंकी बनीं ‘बिना बैलेट’ वाली पार्षद!

रायगढ़। रायगढ़ नगर निगम चुनाव में भाजपा ने जीत का ऐसा 'सिक्सर' मारा...

वाहन चेकिंग के दौरान सरिया पुलिस की बड़ी कार्रवाई, 212 किलो से अधिक चांदी जप्त

सरिया (सारंगढ़-बिलाईगढ़)। सरिया पुलिस ने वाहन चेकिंग के...

बिश्रामपुर में नामांकन रद्द होने पर सियासी घमासान, कांग्रेस ने भाजपा पर लगाया साजिश का आरोप

बिश्रामपुर। नगरीय निकाय चुनाव को लेकर प्रदेशभर में सियासी गहमागहमी तेज हो गई...

माओवादी संगठन ने हिड़मा से छीनी जिम्मेदारी, पतिराम मांझी को कमान

बस्तर। माओवादी संगठन की सर्वोच्च संस्था सेंट्रल कमेटी से कुख्यात नक्सली माड़वी हिड़मा...
- Advertisement -

धमतरी में धम से गिरी कांग्रेस, लगा बड़ा झटका: मेयर प्रत्याशी का नामांकन रद्द, सियासी संग्राम तेज

रायपुर। छत्तीसगढ़ के धमतरी नगर निगम चुनाव में बड़ा उलटफेर हो गया है। कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी...

सरकारी दफ्तर में शराब की महफिल! लखनपुर जनपद कार्यालय का वीडियो वायरल, क्लर्क मौरन राम पर गिरी गाज

अंबिकापुर। सरकारी दफ्तर, जहां जनता की समस्याओं का हल निकाला जाता है, वहां...

Must read

You might also likeRELATED
Recommended to you

error: Content is protected !!