Sunday, January 12, 2025
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मांग – सिंगल लड़कों के लिए चले ‘सामूहिक अफेयर योजना’ या जिनके पास हो तीन-तीन गर्लफ्रेंड – वो एक दे….  अरुण – प्रशांत 

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कोरिया ( होस ) पैसे के चलते गरीब त्यौहार नहीं मना पाता, तो सबका दिल पसीजता है मगर गर्लफ्रेंड के अभाव में यही शर्मीले, प्यार का सबसे बड़ा पर्व वेलेंटाइन डे भी नहीं मना पाते। जब हर त्यौहार पर ये सीख दी जाती है कि गरीबों को कुछ दान करो, आख़िर उन्हें भी तो त्यौहार मनाना है, तो प्यार के सबसे बड़े पर्व वेलेंटाइन डे पर ऐसी कोई अपील क्यूं नहीं सुनाई देती?


प्यार इंसान की सबसे बड़ी भूख है तो सबसे ज़्यादा कुपोषित वो लड़के हैं जिनकी कोई गर्लफ्रेंड ही नहीं है। अगर प्यार पर सबका हक है तो ‘शर्मीले लड़के’ समाज का वो वंचित तबका है जिन्हें आज तक उनका हक नहीं मिला। हैरानी होती है यह देखकर कि जब भी वंचितों के हक की बात होती है तो शर्मीले लड़कों का कहीं ज़िक्र नहीं होता।


क्या कभी किसी हैंडसम हंक को ये सलाह दी गई कि भाई, तेरे पास तो तीन-तीन गर्लफ्रेंड हैं, जा एक-आधी किसी दोस्त को दे दे, दुआएं देगा। क्या किसी ने सोचा है कि कैसा लगता होगा इन्हें जब ये दोस्तों को इस बात पर परेशान देखते हैं कि वो गर्लफ्रेंड को आईपैड दिलाएं या संगिनी की डायमंड रिंग और खुद ये सोचकर परेशान रहते हैं कि काश! कोई संगिनी होती, जिसे वो डायमंड रिंग दिला पाते। कैसा लगता होगा जब वो फूड कोर्ट में किसी बांके-टेढ़े लड़के को गर्लफ्रेंड की कांटे सी कलाई थामे जीने-मरने की कसमें खाते देखते।
कितना अच्छा होता अगर एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज की तर्ज पर बेगर्लफ्रेंड लड़कों के लिए लव एक्सचेंज भी होते, जहां तमाम अफेयराभिलाषी रजिस्ट्रेशन करवा पाते। जहां ऐसे लड़के अपना बॉयोडेटा, तीन पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ और भावी गर्लफ्रेंड के खर्च और नखरे उठा पाने की अपनी क्षमता के ब्यौरा जमा करवा पाते जिसके बाद इन प्रोफाइल को ऑनलाइन डालकर आवेदन मंगाए जाते। हेल्पलाइन नंबर जारी कर उनकी मदद की जाती। कस्टमर केयर ऑफिसर द्वारा संभावित लड़की तक ऐसे लड़कों की बात पहुंचाई जाती।
अगर फिर भी बात नहीं बनती तो ‘सामूहिक कन्यादान योजना’ की तर्ज पर ‘सामूहिक प्रेम प्रसंग योजना’ चलाकर ऐसे शर्मीले लड़कों के अफेयर चलवाए जाते। 


इसी बात में शहर के युवा नौजवान हैन्सम अरुण जैन और उनके मित्र प्रशांत मिश्रा ने अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा की ये सिर्फ हमारी सोच हैं, बेदर्द ज़माने को ऐसे लड़कों की कहां परवाह? हम बेचारे या तो शर्म के मारे आज घर से निकलेंगे ही नहीं। निकलेंगे भी, तो अपने जैसे ही किसी अकेले रह गए दोस्त के साथ। झुमका पार्क में घूमते हुए दूसरों की बंदियों को देखकर फ्रस्ट्रेट होंगे और ये कहकर एक-दूसरे को तसल्ली देंगे कि भाई, इन बंदियों से तो दूर ही रहो तो अच्छा है! ख़ैर अभी समय हैं जिनके पास तो तीन-तीन गर्लफ्रेंड हैं, वो एक-आधी उन्हें दे दे, वें उन्हें दुआएं देंगे।

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