नई दिल्ली : हड्डियों की कमजोरी और गठिया जैसी समस्याएं कुछ दशकों पहले तक उम्र बढ़ने के साथ होने वाली दिक्कतों के रूप में जानी जाती थीं, हालांकि अब कम आयु में भी लोग इसके शिकार होते जा रहे हैं। खराब लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के कारण 30 से कम उम्र के लोगों में भी गठिया का खतरा देखा जा रहा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक 30 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में से पंद्रह प्रतिशत ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित हैं। ये गठिया के सबसे आम रूपों में से एक है जो दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है।
.
वैसे तो 20 से 30 की उम्र में ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षणों की पहचान करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि ये अक्सर व्यस्त और जीवनशैली की अन्य स्थितियों के साथ ओवरलैप हो सकते हैं। हालांकि लगातार जोड़ों में दर्द और अकड़न होने, जोड़ों के लचीलेपन में कमी और घुटनों में समस्याओं पर ध्यान देकर इसकी पहचान की जा सकती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस की बढ़ती समस्या
ऑस्टियोआर्थराइटिस तब होता है जब हड्डियों के सिरों को सहारा देने वाली सुरक्षात्मक कार्टिलेज खराब होने लग जाती है। ऑस्टियोआर्थराइटिस वैसे तो शरीर के किसी भी जोड़ को नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन यह विकार सबसे ज्यादा हाथों, घुटनों, कूल्हों और रीढ़ के जोड़ों को प्रभावित करता है। उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों में ये दिक्कत होना आम है हालांकि शारीरिक निष्क्रियता, ज्यादा बैठे रहने की आदत जैसी स्थितियों के कारण युवा भी इसके शिकार हो रहे हैं।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षणों को आमतौर पर नियंत्रित किया जा सकता है, पर जोड़ों को होने वाले नुकसान को ठीक नहीं किया जा सकता है। गठिया की इस समस्या से बचाव के लिए विशेषज्ञों ने तीन जरूरी उपाय बताए हैं।
- वजन कर लें नियंत्रित
जॉन्स हॉप्किंस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अध्ययनों से पता चलता है कि वजन कम करने से घुटने में होने वाली गठिया की इस दिक्कत से बचाव किया जा सकता है। वजन बढ़ने के साथ जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव भी बढ़ने लग जाता है। अक्सर बने रहने वाले दबाव के कारण जोड़ों की मांसपेशियों में अकड़न बढ़ने लगती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, शरीर का वजन जितना अच्छा नियंत्रित रहेगा जोड़ों में होने वाली समस्याओं से आप उतने बेहतर तरीके से बचे रह सकते हैं।
मोटापा और फैट टिशू कुछ ऐसे प्रोटीन का भी उत्पादन करते हैं जो आपके जोड़ों में और उसके आसपास हानिकारक सूजन पैदा कर सकते हैं।
- आहार में सुधार
कम उम्र से आहार का ध्यान रखकर भी आप जोड़ों में होने वाली समस्याओं के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं। एवोकाडो और सोयाबीन तेलों का मिश्रण यूरोप में घुटने और कूल्हे के ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह एंटी-इफ्लामेटरी के रूप में कार्य करता है और अध्ययनों से पता चला है कि इससे जोड़ों की क्षति को धीमा करने या रोकने में भी मदद मिल सकती है।
आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड वाली चीजें जैसे फैटी मछली और नट्स को शामिल करके जोड़ों को स्वस्थ रखा जा सकता है।
- नियमित व्यायाम करें
जोड़ों की समस्याओं से बचाव के लिए नियमित व्यायाम करना भी बहुत जरूरी है। हल्के स्तर वाले व्यायाम आपकी सहनशक्ति को बढ़ाने और जोड़ों के आस-पास की मांसपेशियों को मजबूत करने में लाभकारी हैं। पैदल चलना, साइकिल चलाना या तैराकी जैसे अभ्यास जोड़ों के दर्द से बचाने और गठिया जैसी समस्याओं को कम करने में आपके लिए बहुत लाभप्रद हैं। शारीरिक रूप से सक्रिय रहने वालों में गठिया का खतरा कम देखा जाता रहा है।