बेंगलुरु: कर्नाटक में स्थित आईटी की कंपनियों ने वहां की कांग्रेस सरकार से मिलकर उसे एक प्रस्ताव सौंपते हुए मांग की है कि कंपनियों में काम के घंटे को 8 से बढ़ाकर 14 घंटे कर दिए जाएं। कांग्रेस सरकार के इस कदम का कर्मचारियों ने कड़ा विरोध करते हुए स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों और छंटनी की चिंताओं को अमानवीय करार दिया है।
इस पूरे प्रकरण पर भाजपा की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वीडियो शेयर करते हुए कहा, “कर्नाटक सरकार ने लोगों को एक और झटका दे दिया है, सरकार का प्रपोजल है कि आईटी कर्मचारियों का वर्किंग आवर को 10 घंटे से बढ़ाकर 12 से 14 घंटे कर दिया जाए। इसका मतलब ये है कि पानी, पेट्रोल, डीजल, दूध, बिजली बिल, बस और सिनेमा का किराया बढ़ाए जाने के बाद अब आम आदमी को ज्यादा काम करना पड़ेगा। इसका सीधा असर ये होगा कि जो 3 शिफ्ट चलती है, वो अब दो शिफ्ट में हो जाएगी। इसके साथ एक शिफ्ट में काम करने वाले एक तिहाई लोग बेरोजगार हो जाएंगे।”
दरसअल एक मशहूर मीडिया संस्थान ने सूत्रों के जरिए दावा किया गया है कि सिद्धारमैया की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार 1961 के राज्य सरकार कर्नाटक दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम में संशोधन करने पर विचार कर रही है। आईटी कंपनियां भी सरकार से चाहती हैं कि सरकार उनके प्रस्ताव को संशोधन में शामिल किया जाए, ताकि कानूनी तौर पर काम के घंटे 14 घंटे यानि कि हो जाए। आईटी क्षेत्र के नए प्रस्ताव में कहा गया है कि IT/ITES/BPO के सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों को लगातार तीन माह में 12 घंटे से अधिक यानि कि करीब 125 घंटे से अधिक काम करने की आवश्यकता हो सकती है।
बताया जाता है कि इसको लेकर हाल ही एक प्रारंभिक बैठक हुई है। अब जल्द ही इसको लेकर आगे का फैसला लिया जा सकता है। प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल जल्द ही चर्चा कर सकता है।