चिरमिरी/ चिरमिरी नगर निगम चुनाव का सियासी पारा आसमान छू रहा है। हर गली-मोहल्ले में सिर्फ राजनीति के चर्चे हैं। इस बार की चुनावी जंग रोमांचक क्रिकेट मैच जैसी लग रही है, जहां हर खिलाड़ी अपनी चालें और रणनीति लेकर तैयार है। लेकिन चर्चा का सबसे गर्म मुद्दा है “डमी कैंडिडेट” और टिकट वितरण में चल रही “कटनी-छटनी”।
हाल ही में विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने वाले स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल पर “राजनीतिक कर्ज” चुकाने के आरोप लग रहे हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस के पूर्व विधायक डॉ. विनय जायसवाल, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में अंदरखाने से श्याम बिहारी को समर्थन दिया था, अब कांग्रेस के महापौर पद के प्रबल दावेदार हैं। और अब, श्याम बिहारी जायसवाल उन्हें समर्थन देने के लिए एक डमी कैंडिडेट मैदान में उतार सकते हैं, ताकि विपक्ष के वोट काटकर कांग्रेस का रास्ता साफ किया जा सके।
शहर में इसे शतरंज के खेल से जोड़कर देखा जा रहा है, जहां हर कोई अपनी गोटी को सही जगह पर फिट करना चाहता है।
भाजपा की रणनीति और दावेदारों की बारात
दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी के दावेदारों की सूची किसी शादी की बारात से कम नहीं है। कीर्ति वासु, संजय सिंह, प्रेमकांत झा, द्वारिका जायसवाल, और डमरू बेहरा जैसे मजबूत नाम दावेदारों की दौड़ में हैं। लेकिन अब खबर यह है कि भाजपा इन नामों के अलावा डमी कैंडिडेट की रणनीति अपनाने जा रहीं है। अगर ऐसा होता है, तो यह चुनाव डॉ. विनय जायसवाल बनाम “बाकी सभी” का रूप ले सकता है।
शहर के चाय ठेलों और चौपालों पर मजेदार चुटकुले गूंज रहे हैं। कोई कह रहा है, “डमी कैंडिडेट ही असली किंगमेकर होगा,” तो कोई मजाकिया अंदाज में कह रहा है, “इस बार वोटों की शतरंज में कौन ‘शेर’ बनेगा और कौन ‘बकरा’, ये तो वक्त ही बताएगा।”
कटनी-छटनी का खेल और कार्यकर्ताओं की नाराजगी
सूत्रों की मानें तो टिकट वितरण में “कटनी-छटनी” का खेल भी जोरों पर है। जिले से राजधानी तक कई मजबूत और निष्ठावान नेताओं के नाम पहुंच ही नहीं सके। सालों से पार्टी की सेवा कर रहे कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर केवल गिने-चुने नाम शीर्ष नेतृत्व तक भेजे जा रहे हैं। इससे पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है।
पार्टी के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “हमने पार्टी के लिए दिन-रात मेहनत की है, लेकिन हर बार बाहरी लोग या धनबल वाले आगे आ जाते हैं। पार्टी को ऐसे लोगों को टिकट देना चाहिए जो जनता के बीच लोकप्रिय और पार्टी के प्रति वफादार हों।”
स्थानीय विधायक की सहमति अनिवार्य
यह बात साफ है कि टिकट फाइनल करने में स्थानीय विधायक और जिला संगठन की सहमति अनिवार्य है। ऐसे में पार्टी पर दबाव है कि वह सही निर्णय ले और ऐसे लोगों को मौका दे जो वास्तव में पार्टी के प्रति निष्ठावान और जनता के बीच स्वीकृत हों।
जनता और कार्यकर्ताओं की नजरें
यह चुनाव केवल वोटों का नहीं, बल्कि सियासी चालों और कार्यकर्ताओं के विश्वास की परीक्षा भी है। जनता और पार्टी कार्यकर्ता टिकट वितरण की प्रक्रिया पर पैनी नजर रखे हुए हैं।
खास बात:
यह चुनाव चिरमिरी की जनता के लिए सियासी ड्रामे का लाइव शो बन चुका है। “डमी कैंडिडेट”, “कटनी-छटनी” और ‘कौन किसके लिए खेल रहा है’ की गुत्थी सुलझाने में हर कोई लगा है। popcorn तैयार रखें, क्योंकि आने वाले दिन और भी मजेदार होने वाले हैं!
