नारायणपुर। जिला अस्पताल की बदहाल व्यवस्था एक बार फिर शर्मसार करने वाली तस्वीरें पेश कर रही है। अस्पताल में शव वाहन खराब होने के कारण परिजन को अपने ही परिजन के शव को घंटों तक अस्पताल में बैठकर रखने को मजबूर होना पड़ा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर स्थित धोड़ाई गांव के अर्कीत सलाम की उल्टी-दस्त के कारण इलाज के दौरान मौत हो गई। परिजन शव को गांव ले जाने के लिए शव वाहन की व्यवस्था की मांग करते रहे, लेकिन अस्पताल प्रशासन कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करा सका।
परिजन की बेबसी, प्रशासन की अनदेखी
मृतक के परिजन रजनी सलाम और लक्ष्मण सलाम ने अस्पताल प्रशासन से शव वाहन की मांग की, लेकिन उन्हें कोई सहायता नहीं मिली। अंततः मजबूर होकर परिजनों ने शव को निजी ट्रैक्टर के माध्यम से गांव ले जाने का निर्णय लिया। इस दौरान शव वाहन से शव को दूसरी गाड़ी में डालते हुए वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिससे प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई।
एक दिन में दो मामले, कब जागेगा प्रशासन?
इसी दिन देर शाम एक और मामला सामने आया, जहां अस्पताल में शव वाहन की अनुपलब्धता के कारण कांग्रेस के पूर्व पार्षद विजय सलाम को स्वयं गाड़ी की व्यवस्था करनी पड़ी। यह घटनाएं नारायणपुर की स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़े सवाल खड़े करती हैं।
क्या कहते हैं परिजन और जनप्रतिनिधि?
लक्ष्मण सलाम (परिजन) – “हमने अस्पताल प्रशासन से कई बार शव वाहन की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार हमें खुद व्यवस्था करनी पड़ी।”
विजय सलाम (कांग्रेस नेता) – “अस्पताल में शव वाहन जैसी बुनियादी सुविधा न होना शर्मनाक है। प्रशासन को तत्काल ध्यान देना चाहिए।”
प्रशासन की चुप्पी, मरीजों की परेशानी
जिला अस्पताल की दुर्दशा को लेकर प्रशासन की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। सवाल यह है कि आखिर कब तक मरीजों और उनके परिजनों को ऐसी लचर व्यवस्था से जूझना पड़ेगा? क्या जिला प्रशासन इस समस्या का स्थायी समाधान निकालेगा या फिर लोगों को यूं ही अपनी व्यवस्था खुद करनी पड़ेगी?