RTI से खुलासा: निगम की गाड़ियाँ बिना वैध बीमा के चार साल दौड़ती रहीं, दस्तावेज निकले फर्जी – बारकोड तक असली नहीं!
चिरिमिरी । नगर निगम चिरिमिरी में वर्षों से चल रहा बीमा घोटाला अब एक राजनीतिक भूचाल का रूप लेता दिख रहा है। RTI कार्यकर्ता राकेश सिंह की पड़ताल में सामने आया है कि निगम की गाड़ियों का बीमा बीते चार सालों तक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दर्शाया गया — न पॉलिसी नंबर थे, न बीमा कंपनी का नाम और न ही बारकोड असली था।
और इस पूरे दौर में नगर निगम की कमान कांग्रेस शासित सरकार के अधीन थी, जहां महापौर पद पर कंचन जायसवाल और विधायक के रूप में उनके पति विनय जायसवाल का वर्चस्व था। यह वही दौर था, जब इलाके में “विकास की चाभी – कंचन भाभी” जैसे नारे लगते थे।

“घोटाला विकास की बुनियाद में छिपा था” – जनता का आरोप
स्थानीय लोगों और आरटीआई कार्यकर्ता का सवाल साफ है – जब चार वर्षों तक एक ही फर्म ‘मंजिता ई-सेल्युशन CSC सेंटर’ को गाड़ियों का बीमा सौंपा जाता रहा, और दस्तावेजों की कभी भी वैधता की जांच नहीं की गई, तो क्या यह सब कुछ जानबूझकर नहीं किया गया?
क्या निगम के तत्कालीन महापौर और विधायक को इसकी जानकारी नहीं थी? या फिर यह सारा घोटाला उनकी निगरानी में और सहमति से फलता-फूलता रहा?
बिना बीमा दौड़ती रहीं निगम की गाड़ियाँ, गनीमत रही कि कोई हादसा नहीं हुआ
सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि चार सालों तक निगम की गाड़ियाँ बिना वैध बीमा के सड़कों पर दौड़ती रहीं। कल्पना कीजिए, अगर इस दौरान कोई गंभीर दुर्घटना घट जाती, तो जिम्मेदारी किसकी होती?
यह न केवल एक वित्तीय अपराध, बल्कि जन सुरक्षा से जुड़ा सीधा खिलवाड़ भी है।
बारकोड स्कैन पर निकले अन्य वाहन, फर्जीवाड़ा साफ उजागर
RTI से मिले दस्तावेजों में कई बारकोड स्कैन करने पर दूसरे वाहनों की जानकारियाँ सामने आईं, जबकि कुछ स्कैन हो ही नहीं पाए। यह साफ दर्शाता है कि बीमा केवल कागज़ों में था – हकीकत में नहीं।
अब के आयुक्त और महापौर चुप – क्या जांच भी रस्म अदायगी बन जाएगी?
निगम के वर्तमान आयुक्त राम प्रसाद आचला और महापौर राम नरेश राय ने मामले में जांच की बात कह कर पल्ला झाड़ा है। मगर जनता सवाल पूछ रही है — क्या यह भी बाकी घोटालों की तरह जांच के नाम पर दबा दिया जाएगा?
