00 2012 से बगैर स्थाई अफसर के चल रहा आरटीओ दफ्तर
00 2005 से किराये के भवन में आरटीओ कार्यालय
00 आरटीओ में दलाल और बाबुओ का राज
कोरिया / प्रभारी अधिकारी और कर्मचारियों के अभाव में कोरिया में जिले का आरटीओ दफ्तर लावारिस बनकर रह गया है यहां का कामकाज ठप पड़ा हुआ है, यहां तक कि ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का काम भी यहां नियमित तरीके से नहीं हो पा रहा है और लोग को बार – बार इस ‘लावारिस’ आरटीओ दफ्तर का चक्कर काटना पड़ रहा है, बता दें कि जिले में परिवहन अधिकारी के पद पर वर्ष 2012 से अब तक प्रभारी आरटीओ ही दफ्तर चला रहे है और वो भी जो आरटीओ दफ्तर आते नहीं, इस कारण सालो से कार्यालय का कामकाज काफी ढीला चल रहा है।
सालोँ से प्रभारी आरटीओ – जिले में आरटीओ दफ्तर बीते 2012 से बगैर स्थाई अफसर के चल रहा है। फ़िलहाल जिले के डिप्टी कलेक्टर, संचालक समाज कल्याण विभाग और उप जिला निर्वाचन अधिकारी बी सी एक्का को आरटीओ का अतरिक्त प्रभार दिया गया है, जो व्यस्तता के चलते आरटीओ दफ्तर की ओर झांकते भी नहीं और अगर समय देना भी हो तो रविवार के दिन आरटीओ विभाग के अधिकारी घर पर ही उनसे काम ले लेते है। पूर्णकालिक आरटीओ के नहीं होने से दफ्तर के काम-काज पर बुरा असर पड़ रहा है। दफ्तर में रुटीन के काम समय पर नहीं होने से फाइलें पेंडिंग पड़ी रहती हैं, जिससे लाइसेंस जारी करने, नए वाहनों के पंजीकरण संबंधी दस्तावेज प्रमाणित करने और अन्य काम में देरी होती है।
पटरी से उतरी व्यवस्था – आरटीओ कार्यालय की व्यवस्था एक बार फिर पटरी से नीचे उतर गई है। आरटीओ संबंधी कार्य कराने के लिए दुर -दुर से लोग कार्यालय पहुँचते है और समय पर काम नहीं होने की वजह से लोगों की उम्मीद लगातार टूट रही है लोगो को लायसेंस बनवाने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। वर्तमान हालात और खराब हैं। तत्कालीन प्रभारी आरटीओ बी सी एक्का के रहने से पक्का लायसेंस बनवाने वालों की परेशानियां कई गुना बढ़ गर्इं है। आवेदन फार्म में हस्ताक्षर करने वाला कोई भी जिम्मेदार अधिकारी सीट पर मौजूद नहीं रहता है। जिससे अपाइमेंट के हिसाब से लाइसेंस बनवाने की आस लिए आए लोगो की फोटो नहीं खिंच पाती है।
बैसुविधा आरटीओ दफ्तर – इस कार्यालय में पहुंचने वालों को न तो पीने के पानी की सुविधा दी गई है और न ही बैठने के लिए कुर्सियों आदि का इंतजाम किया गया है। मतलब आमदनी के हिसाब से खर्च बिल्कुल नहीं किया जा रहा है, इसलिए काम के सिलसिले में कार्यालय पहुंचने वालों को परेशान होना पड़ता है।
आरटीओ में दलाल और बाबुओ का राज – जिले का आरटीओ दफ्तर इन दिनों दलालों के भरोसे चल रहा है। एजेंट आफिस के बाबूओं के साथ मिलकर मनमाने ढंग से कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। इनकी मिलीभगत से वाहनों का नामांतरण, लर्निंग ड्रायविंग लायसेंस सहित कोई भी कार्य बिना चढ़ावे के संभव नही है। एजेटों के द्वारा लिपिकों से मिलीभगत कर विभिन्न कार्यों के लिए मनमाने ढंग से वसूली होने की खबर है। वाहनों के पंजीयन, वाहनों का नामंतरण, लर्निंग ड्रायविंग लाईसेंस आदि कार्यों के लिए खुले रूप से पैसे लिये जा रहे हैं। एजेंटो के माध्यम से बाबूओं के टेबल पर रूपए पहुंचने के बाद ही कोई काम हो रहा है।
किराये के भवन में आरटीओ कार्यालय – 2005 से ही कोरिया जिले का आरटीओ कार्यालय किराये के भवन में संचालित हो रहा है फ़िलहाल किराया लगभग 17000 रुपये बताई गई है जबकि विभाग को काफी समय पूर्व ही नए भवन हेतु स्थल दिया जा चूका है पर आज तक उस स्थल में नींव तक नहीं राखी गई है।
