रायपुर / छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने स्वास्थ्य मन्त्री अजय चंद्रकार पर प्रदेश की स्वास्थ्य शिक्षा व्यवस्था से नियमोँ को मनमाने ढंग से तोड़ मरोड़कर लागू करने और नियमों से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। उन्होंने पिछले सप्ताह 7 नए नर्सिंग कॉलेज खोले जाने के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ में पहले ही 80 नर्सिंग कॉलेज है। नर्सिंग कॉलेजो की संख्या करीब 90 हो जाएगी। विगत 3 वर्षों से नर्सिंग कॉलेजो की 20 से 25 प्रतिशत सीट खाली जा रही है, फिर भी इतने सारे नए कॉलेज खोलने का औचित्य क्या है।
क्या मंत्री जी के खास लोगों के लिए पुराने बैन को शिथिल करते हुए शहरी क्षेत्रों में नए नर्सिंग कॉलेज खोले जा रहे है? जबकि शासन की तरफ से सिर्फ़ अनुसूचित क्षेत्र में ही नए कॉलेजों को मान्यता दिए जाने का प्रस्ताव दिया गया था। पुराने कॉलेज ही अभी प्रशिक्षण हेतु ठीक से हॉस्पिटल की व्यवस्था नही कर पाए है जिससे निकलने वाले स्नातकों की गुणवत्ता पर ही कई प्रश्न उठते रहे हैं। पुराने नर्सिंग कॉलेजो के सम्बद्ध हॉस्पिटलों की अनुमति राज्य शासन निरस्त कर रही है, और अपने चहेतों को रातों रात संबद्धता दे रही। दूसरी ओर हॉस्पिटल की सुविधाआें की बिना जानकारी लिये नए कॉलेजो को अनुमति दिया जाना समझ से परे है। डॉ राकेश गुप्ता ने प्रश्न किया है कि-
1. क्या इन 7 जगहों में संस्था के स्वयं के 120 बिस्तर नर्सिंग होम एक्ट में पंजीकृत हॉस्पिटल हैं?
2. क्या कॉलेजो द्वारा अपने प्रोजेक्ट में घोषित हॉस्पिटल उपलब्ध बिस्तरों की संख्या को राज्य नर्सिंग होम एक्ट 2013 के तहत पंजीकृत कराया गया है एवं और इसे नियमतः निरीक्षण किया गया है?
3. क्या नर्सिंग कॉलेजो के स्वयं के हॉस्पिटल के बिस्तरों का वर्गीकरण इंडियन नर्सिंग कॉउंसिल एवं राज्य नर्सिंग कॉउंसिल के अनुरूप है? नए नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए इंडियन नर्सिंग कॉउंसिल के नॉर्म्स का पालन किया जाना चाहिए। केवल छत्तीसगढ़ में ही रोजगार मिलने के स्पष्ट उल्लेख से घपला जाहिर है कि केंद्रीय नर्सिंग कॉउंसिल से इन कोर्सों की अनुमति नहीं ली गयी है और किसी भी केंद्रीय संस्थान में इन सातों नर्सिंग कॉलेजों से पास कोई भी स्नातक छत्तीसगढ़ राज्य के भी केंद्रीय सरकार के संस्थानों में नौकरी नहीं ले पाएगा। छत्तीसगढ़ आयुष विश्वविद्यालय से इन नए नर्सिंग विद्यालयों की मान्यता का उल्लेख नहीं होना इनकी वैधता पर ही प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहा है जबकि शासन की तरफ से सिर्फ़ अनुसूचित क्षेत्र में ही नए कॉलेजो को मान्यता दिए जाने का प्रस्ताव दिया गया था। इंडियन नर्सिंग कॉउन्सिल के मापदंडों को ताक पर रखते हुए स्टेट नर्सिंग कॉउन्सिल द्वारा अनुमति दी गयी है। नर्सिंग शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए राज्य शासन से अपेक्षा है कि रातो रात अनुमति देने के पूर्व हॉस्पिटल सुविधाओं का ठीक से निरीक्षण कराये, 7 नर्सिंग कॉलेज है जिनके पास स्वयं का हॉस्पिटल नही है, फिर भी राजनीतिक पहुंच के कारण अनुमति दी जा रही है –
1. भारती कॉलेज, दुर्ग
2. आयुष कॉलेज ऑफ नर्सिंग
3. लक्ष्य कालेज सीतापुर
4. पुष्पेंद्र कॉलेज ऑफ नर्सिंग,बलरामपुर
5. अशरफी देवी नर्सिंग इंस्टिट्यूट बलरामपुर
6. भारती कॉलेज, सराईपाली
7. संदीपन अकादमी मस्तूरी बिलासपुर दुर्ग स्थित भारती कॉलेज ने बीएएमएस कोर्स की अनुमति लेने के लिए 50 बिस्तर आयुर्वेदिक हॉस्पिटल बनाया है, उसी हॉस्पिटल को एलोपैथी दिखाकर नर्सिंग कोर्स प्रारम्भ करने की तैयारी में है, शेष कॉलेजो में भी हॉस्पिटल की सुविधा उपलब्ध नही है इसमे उल्लेख किया जा रहा है कि इन कॉलेजो के पाठ्यक्रमों में जो विद्यार्थी प्रवेश लेंगे वे केवल छत्तीसगढ़ में ही नौकरी कर पाएंगे। ये समझ से परे है कि क्यों औने पौने गुणवत्ता के कोर्स प्रारंभ करके छत्तीसगढ़ की जनता और विद्यार्थियों को बेवकूफ बनाया जा रहा है। डॉ राकेश गुप्ता ने मांग की है कि इन नर्सिंग कॉलेजों की अनुमति को तुरन्त प्रभाव से निरस्त किया जाए और शेष सभी नर्सिंग कॉलेजों में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई सुनिश्चित की जाए।