रायपुर।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश ने जब अपने वीर जवानों की बहादुरी पर गर्व जताया, तब केंद्र सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए आतंक के अड्डों को नेस्तनाबूद कर दिया। लेकिन अब युद्धविराम की घोषणा के साथ ही सियासी तापमान चढ़ने लगा है।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सवाल उठाया— “जब पहलगाम हमले के दोषी अब तक नहीं पकड़े गए, तो ऑपरेशन को सफल कैसे माना जा सकता है?” उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति की युद्धविराम घोषणा को भी संदेह के घेरे में बताया।
सरकार की ओर से जवाब देने मैदान में उतरे केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान। उन्होंने तीखा प्रहार करते हुए कहा— “उन्होंने सिंदूर उजाड़ा था, हमने आतंक के अड्डों को ही मिटा दिया। मोदी विरोध करते-करते कुछ लोग अब सेना और देश के भी विरोधी बनते जा रहे हैं।”
जहाँ एक ओर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जनता में गर्व की भावना है, वहीं सियासी गलियारों में इसे लेकर नई बहस शुरू हो गई है। सवाल यह भी है कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर राजनीतिक बयानबाज़ी का कोई स्थान होना चाहिए?
