राजमुंदरी (आंध्र प्रदेश), 31 मई।
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर का जीवन धर्म, करुणा और सेवा भावना का जीवंत प्रतीक है। उन्होंने न केवल मालवा में न्यायपूर्ण शासन स्थापित किया, बल्कि पूरे भारतवर्ष में आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पुनर्जागरण को दिशा दी।
अरुण साव आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में आयोजित पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती समारोह में शामिल हुए। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई ने काशी विश्वनाथ, रामेश्वरम और सोमनाथ जैसे तीर्थ स्थलों का जीर्णोद्धार कर राष्ट्र की सेवा में अभूतपूर्व योगदान दिया। उनके कार्य धर्म, समरसता और जनकल्याण के प्रति उनकी गहन प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
उप मुख्यमंत्री ने कहा, “अहिल्याबाई ने शासन को शक्ति का साधन नहीं, जनसेवा का माध्यम बनाया। उन्होंने महिलाओं के सम्मान की अलख जगाई और हर वर्ग को न्याय दिलाने का प्रयास किया।”
उन्होंने यह भी कहा कि आज जब देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक नए युग की ओर बढ़ रहा है, ऐसे समय में अहिल्याबाई के मूल्य—न्याय, समानता, महिला सशक्तिकरण और सेवा—हमारे लिए पथप्रदर्शक हैं।
धैर्य और करुणा की मूर्ति थीं अहिल्याबाई
अरुण साव ने कहा कि कठिन समय में जिस धैर्य और करुणा के साथ अहिल्याबाई होलकर ने राज्य की बागडोर संभाली, वह इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता, सामाजिक समरसता और महिला सशक्तिकरण को अपने शासन की प्राथमिकता बनाया।
समारोह में भाजपा के अनेक वरिष्ठ पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ता उपस्थित थे। इनमें प्रमुख रूप से भाजपा जिला अध्यक्ष पी. नागेंद्र, विधान परिषद सदस्य एस. विराजू, विधायक एन. रामा कृष्णन रेड्डी, प्रदेश संगठन मंत्री मधुकर, प्रदेश उपाध्यक्ष पी.वी.एन. माघव, ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष आर. गोपी श्रीनिवास सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे।
