विद्युत आयोग कार्यालय पहुंचकर जनसुनवाई में जताया विरोध, जनता पर 4500 करोड़ का बोझ डालने का आरोप
रायपुर। छत्तीसगढ़ में बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी और एफपीपीएएस शुल्क के जरिए आम जनता पर अतिरिक्त भार डालने के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बुधवार को विद्युत विनियामक आयोग कार्यालय का घेराव किया। शहर अध्यक्ष गिरीश दुबे और पूर्व विधायक विकास उपाध्याय के नेतृत्व में कार्यकर्ता लालटेन और चिमनी लेकर पहुंचे और जनसुनवाई के दौरान प्रदर्शन कर बिजली नीति पर सवाल उठाए।
पूर्व विधायक उपाध्याय ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार के समय बिजली बिल हाफ योजना के तहत 65 लाख उपभोक्ताओं को राहत दी जा रही थी, लेकिन वर्तमान सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया है। अब बिजली दरों में बढ़ोतरी कर आम आदमी की जेब पर सीधा असर डाला जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पावर कंपनी के 4500 करोड़ के घाटे की भरपाई अब जनता से की जा रही है और मई के बिल में 7.15 फीसदी एफपीपीएएस शुल्क जोड़ा जा रहा है। वहीं, सरकारी कार्यालयों का करीब 1750 करोड़ रुपए बिजली बिल बकाया है, जबकि आम उपभोक्ताओं के मामूली बकाया पर बिजली काट दी जाती है।
उपाध्याय ने कहा कि स्मार्ट मीटर पहले सरकारी दफ्तरों में लगाने की योजना थी, लेकिन अब तक केवल 15% विभागों में ही लगे हैं। इसके बावजूद आम लोगों को स्मार्ट मीटर के जरिए जबरन परेशान किया जा रहा है और कई जगहों से बिल अधिक आने की शिकायतें मिल रही हैं।
कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया कि जब छत्तीसगढ़ एक सरप्लस बिजली उत्पादन राज्य है, तो फिर लगातार दरें क्यों बढ़ाई जा रही हैं? उन्होंने जनसुनवाई को “चोरी-छिपे” करने का आरोप लगाते हुए पारदर्शिता की मांग की।
प्रदर्शन में प्रमोद चौबे, कन्हैया अग्रवाल, कुमार मेनन, आकाश तिवारी, कमलाकांत शुक्ला, सुनील बाजारी, प्रशांत ठेंगड़ी, शीनू, देवकुमार साहू, संदीप तिवारी, विनोद कश्यप, कुणाल दुबे, अजय निषाद, प्रीति सोनी, हर्षित जायसवाल समेत सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल थे।