माओवादियों के निशाने पर बस्तर के शिक्षादूत – डर के साए में शिक्षा की अलख
रायपुर।
बस्तर के घने जंगलों में शिक्षा की किरण जलाने वाले शिक्षादूत अब माओवादियों के निशाने पर हैं। पिछले तीन दिनों में दो शिक्षादूतों की हत्या ने इलाके में दहशत फैला दी है। नक्सली धमकी और हत्या की वारदातों से यह साबित कर रहे हैं कि उन्हें किताब और कक्षा से ज्यादा डर लगता है।
29 अगस्त की रात – बीजापुर के गंगालूर इलाके के नेन्द्रा गांव में पदस्थ शिक्षादूत कल्लू ताती की माओवादियों ने बेरहमी से हत्या कर दी।
27 अगस्त – इससे दो दिन पहले ही सुकमा के मंडीमरका गांव में शिक्षादूत बारसे लक्ष्मण को गोली मार दी गई।
आंकड़े खुद गवाही दे रहे
- पिछले 20 महीनों में 9 शिक्षादूतों की हत्या
- 55 से ज्यादा को धमकी
- बीजापुर और सुकमा में कुल 431 शिक्षादूत तैनात
- 12,500 तय मानदेय लेकिन मिलता सिर्फ 10 हजार रुपए
शिक्षादूतों की दर्दभरी मांगें
- मारे गए शिक्षादूतों के परिजनों को 50 लाख मुआवजा व अनुकंपा नियुक्ति मिले
- नक्सलियों को पुनर्वास योजना से बाहर किया जाए
- भविष्य की भर्तियों में TET से छूट और D.Ed. वालों को प्राथमिकता
राजनीति भी गरमाई
- कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज: “सरकार सिर्फ दावा करती है, हकीकत अलग है।”
- बीजेपी अध्यक्ष किरण सिंहदेव: “सुरक्षा बलों के प्रहार से बौखलाए माओवादी कायराना वारदात कर रहे हैं।”
केंद्र का दावा और बस्तर की हकीकत
गृहमंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक माओवादी समस्या खत्म करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन बस्तर में शिक्षादूतों की हत्याएं इस बात की गवाही दे रही हैं कि शिक्षा की अलख जलाने वालों की जिंदगी अब भी दांव पर है।
