Tuesday, March 18, 2025
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प्रशासन द्वारा आयोजित “न्याय आपके द्वार” शिविर का ग्रामीणों ने बहिष्कार किया

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बीकानेर छतरगढ़ से पवन कश्यप की रिपोर्ट…
राज्य सरकार की ओर से राजस्व लोक अदालत अभियान के तहत “न्याय आपके द्वार” शिविर का सोमवार को छतरगढ़ के ग्राम पंचायत प्रांगण में आयोजन किया जाना था लेकिन आयोजन पूर्व ही ग्राम पंचायत व ग्रामीणों द्वारा इस शिविर का पूर्ण रूप से बहिष्कार कर दिया गया। ग्रामीणों ने रोष पूर्वक यहां प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए और सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक शिविर आयोजन समय के दौरान धरने पर बैठ गए। शिविर के बहिष्कार करने की घोषणा सरपंच नारायण राम खिलेरी ने रविवार को कर दी थी।


गौरतलब है कि छतरगढ़ की कृषि आबादी को राजस्व आबादी में कन्वर्ट करने के लिए ग्रामीणों ने समय-समय पर आंदोलन किए थे लेकिन राजस्व विभाग की तकनीकी खामियों के कारण यह जमीन ग्राम पंचायत के नाम से दर्ज नहीं होकर मंडी विकास समिति बीकानेर के नाम से दर्ज हो गई है और यही सबसे बड़ा आक्रोश का कारण बन गया है। 3 वर्ष पूर्व लोक अदालत शिविर में तत्कालीन उपखंड अधिकारी हर्षवर्धन सिंह राठौर ने छतरगढ़ की इस मुख्य समस्या व 1997 – 1999 के न्यायालय के फैसले की पालना करते हुए मंडी विकास समिति का नाम हटाने व भूदान बोर्ड का नाम आबादी भूमि का दर्द करने के लिए फैसला किया था। लेकिन तत्कालीन जिला कलेक्टर बीकानेर ने दूसरे दिन न्याय आपके द्वार शिविर में लिए फैसले को स्थगित कर दिया। इससे छतरगढ़ की मुख्य समस्या फिर से अदर जेल में अटक गई है। क्षेत्र के व्यापारी दुकानदार ग्रामीण वर्षों से आवासीय व वाणिज्य पत्तों से वंचित बने हुए हैं। जिस से इलाके में कस्बे सहित मंडी का विकास कार्य अवरुद्ध बना हुआ है। छतरगढ़ कस्बे की मुख्य समस्या आबादी भूमि के पट्टे बनाने की है।सरकार व प्रशासन की अनदेखी के कारण समस्या निरंतर बढ़ती जा रही है प्रशासन को आबादी भूमि के पट्टे जारी कर वर्षों पुरानी मंडी की इस समस्या का निस्तारण कर ग्रामवासियों को राहत प्रदान करने की मांग लंबे समय से चल रही है। इंदिरा गांधी नहर की 1972 में बीकानेर जिले की एकमात्र मंडी गजट में प्रकाशित कर के छतरगढ़ को भी क्लास मंडी का दर्जा दिया गया था इसके लिए मास्टर प्लान भी तैयार करके रिंकू कॉलेज रेलवे स्टेशन कृषि मंडी चिकित्सालय अतिरिक्त जिला कलेक्टर कार्यालय न्यायालय सहित मास्टर प्लान तैयार कर लिए गए थे साथी छतरगढ़ से कहीं छोटी सी क्लास की मंडियों को भी जोड़ने का प्लान बनाया गया था। परंतु छतरगढ़ को 3307 बीघा भूमि जो भूदान बोर्ड ने आवंटन भी कर दी थी उसे मंडी विकास समिति बीकानेर के नाम से गैर तरीके से आवंटन कर दिया गया, जो न्यायालय में लंबे समय तक चला और उसका फैसला 1997 में 1999 में भूदान यज्ञ बोर्ड के पक्ष में सुनाया गया राजस्व विभाग ने मंडी विकास समिति का नाम राज्य सरकार से आज तक नहीं हटाया है।

पंचायत के सरपंच नारायण राम खिलेरी का आरोप है कि 1997 1999 के फैसले की पालना जिला कलेक्टर बीकानेर द्वारा नहीं मानी जा रही है। 2016 में 12 मई को तत्कालीन कौन अधिकारी ने फैसले की पालना तो कर दी राजस्व विभाग को मंडी विकास समिति का नाम हटाने व भूदान बोर्ड का नाम दर्ज करने के बाद जिला कलेक्टर कार्यालय ने दूसरे दिन फैसले को तानाशाही रवैया अपनाते हुए वापस लेने के आदेश दे दिए थे, जिससे छतरगढ़ मंडी कोबी क्लास की मंडी बनाने का सपना आज तक भी अधूरा बना हुआ है। अब ग्राम पंचायत छतरगढ़ ने कहां है कि न्यायालय के फैसले की पालना प्रशासन जब तक नहीं करेगा तब तक हम प्रशासन के शिविरों का बहिष्कार करते रहेंगे।

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