Wednesday, March 19, 2025
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बिहान योजना महिलाओं के सशक्तिकरण की एक गाथा, राजनांदगांव की महिलाएं बनी सफलता की मिसाल, महिलाओं ने बनाएं दो लाख 45 हजार 174 मास्क

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00 इतिहास यूं ही नहीं बनते, बनाए जाते हैं

राजनांदगांव / राजनांदगांव की बिहान की महिलाओं ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और मजबूत इरादों से सफलता की गाथाएं लिखी है। शासन की बिहान योजना से उनकी परवाज को पंख मिले। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ‘बिहान’ योजना के तहत जिले भर की हुनरमंद महिलाओं ने स्व सहायता समूह के माध्यम से अपनी आजीविका के लिए हिम्मत, मेहनत एवं लगन से एक अलग ही मुकाम हासिल किया। कहीं वे ई-रिक्शा चला रही हैं, तो कहीं ईट निर्माण कर रही हैं, तो कहीं बाड़ी में सब्जी उत्पदान कर रही है कहीं सेनेटरी नेपकीन का निर्माण भी कर रही है और कहीं बैंक सखी के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाएं प्रदान कर रही है।  कोरोना वायरस कोविड-19 के संक्रमण के कारण लॉकडाउन के दौरान महिलाओं ने बड़ी संख्या में 2 लाख 45 हजार 174 मास्क का निर्माण किया। साथ ही इस कठिन परिस्थिति में भी बिहान की 117 महिलाओं द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक सखी के रूप में कार्य करते हुए 25 मार्च से 2 मई 2020 तक कुल 36 हजार 239 ट्रांजेक्शन करते हुए 6 करोड़ एक लाख 57 हजार 131 रूपए का लेन-देन किया।  यह महिलाओं के सशक्तिकरण की मिसाल है।

कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य के मार्गदर्शन एवं जिला पंचायत सीईओ श्रीमती तनुजा सलाम के दिशा-निर्देश में  छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जिले के ग्रामीण आदिवासी एवं सुदूर अंचलों में भी महिलाएं इस योजना के तहत सशक्त बन रही है। जिले में कुल 17 हजार 558 स्व सहायता समूह का गठन किया जा चुका है। समाजिक समावेशन एवं संस्थागत ढांचा निर्माण के तहत कुल 1084 ग्राम संगठन एवं 36 संकुल स्तरीय संगठन का गठन किया गया है। जिन्हें लेखा-जोखा कार्य का भी प्रशिक्षण दिया गया है।  स्व सहायता समूह के संचालक एवं सफल क्रियान्वयन के लिए वित्तीय तरलता प्रदान करने की पर्याप्त कोशिश की गई, जिसके अंतर्गत इस वित्तीय वर्ष 2019-20 में स्व सहायता समूहों को प्रति समूह 15 हजार रूपए की दर से कुल 1582 समूहों को चक्रीय निधि की राशि प्रदाय की गई तथा कुल 1214 स्व सहायता समूह को 60 हजार रूपए प्रति समूह की दर से सामुदायिक निवेश कोष की राशि प्रदाय की गई। इस प्रकार योजना के प्रारंभ से अब तक कुल 11 हजार 382 स्व सहायता समूह को चक्रीय निधि एवं कुल 5 हजार 776 समूहों को सामुदायिक निवेश निधि की राशि प्रदाय की जा चुकी है। बैंक लिंकेज के तहत वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल 5 हजार 854 स्व सहायता समूह को 82 करोड़ 34 लाख रूपए  राशि 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज से बैंकों के माध्यम से प्रदाय कराई गई। ताकि कृषि कार्य आजीविका गतिविधियोंं अन्य घरेलू जरूरतों के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध रहें और साथ ही समूह की महिलाओं को साहुकारों के चंगुल से छुटकारा मिल सके। इसके तहत सामाजिक समावेशन एवं संस्थागत ढांचा निर्माण में स्व सहायता समूह द्वारा लक्ष्य 850 में 1084 उपलब्धि प्राप्त की गई जो कि 127.5 प्रतिशत है।
ई-रिक्शा के लिए बेहतर इच्छाशक्ति का ही परिणाम है कि महिलाएं ई-रिक्शा चला रही है। श्रम विभाग की ई-रिक्शा योजना के तहत महिलाओं को भरपूर लाभ दिलाया गया। इस योजना के तहत 50 हजार एवं एक लाख रूपए तक प्रति रिक्शा पर सब्सिडी पर लाभ दिलाया गया। शेष राशि बैंक से ऋण दिलाकर ई-रिक्शा उपलब्ध कराया गया। समूह की महिलाओं द्वारा जिले में कुल 133 ई-रिक्शा संचालित किए जा रहे हैं। जिसमें शासन द्वारा एक करोड़ 9 लाख रूपए की सब्सिडी का लाभ महिलाओं को प्राप्त हुआ है। ई-रिक्शा प्रचालन कर रही प्रत्येक महिला को औसतन प्रतिमाह 7 से 8 हजार रूपए शुद्ध आय अर्जित हो रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना एवं अन्य निर्माण में ईंट की आपूर्ति के लिए महिलाएं कार्यरत है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में जिले भर की कुल 1983 स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा कुल 3.58 करोड़ रूपए के ईंट का निर्माण किया गया। 2.57 करोड़ ईंट प्रधानमंत्री आवास में सप्लाई कर लगभग ढ़ाई करोड़ रूपए का शुद्ध मुनाफा अर्जित किया गया। सुराजी ग्राम योजना के तहत 138 महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने 205.3 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का विक्रय किया। वर्तमान में जिले अंतर्गत सेनेटरी नेपकीन की गतिविधि में कुल 15 महिला स्व सहायता समूह कार्यरत है और उनके द्वारा अब तक लगभग 50 लाख रूपए के सेनेटरी नेपकीन का विक्रय किया जा चुका है। इस गतिविधि में औसतन 15 प्रतिशत की शुद्ध आय प्राप्त हो रही है।

कृषि मूलक योजनाओं से भी स्व सहायता समूह की महिलाओं को लाभान्वित करने का भरपूर प्रयास किया गया है। शासन की महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना एवं संवहनीय कृषि योजना से कुल 59 हजार 288 महिला किसानों को लाभान्वित किया गया है। योजनान्तर्गत जैविक कृषि, श्री पद्धति से धान की खेती, सब्जी उत्पादन एवं आधुनिक नस्ल के पशुपालन संबंधित प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

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