बिश्रामपुर। नगरीय निकाय चुनाव को लेकर प्रदेशभर में सियासी गहमागहमी तेज हो गई है। कांग्रेस और भाजपा सहित कई दिग्गज नेता चुनावी रण में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इसी बीच बिश्रामपुर नगर पंचायत से कांग्रेस प्रत्याशी नीलम यादव समेत दो निर्दलीय अध्यक्ष प्रत्याशियों और एक निर्दलीय पार्षद प्रत्याशी का नामांकन रद्द कर दिया गया। इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस ने भाजपा पर राजनीतिक दबाव बनाकर साजिशन नामांकन रद्द करवाने का गंभीर आरोप लगाया है।
कांग्रेस ने भाजपा पर साधा निशाना
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा को इस चुनाव में हार का डर सता रहा था, इसलिए उसने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर प्रत्याशियों के नामांकन रद्द करवा दिए। कांग्रेस प्रवक्ता अनुपम फिलिप ने कहा, “भाजपा हमेशा लोकतंत्र की हत्या करने का काम करती रही है। बिश्रामपुर में जो हुआ, वह इसकी एक और मिसाल है। भाजपा चाहती है कि बिना मुकाबले ही वह जीत जाए, जिससे उसकी दोहरी मानसिकता उजागर होती है। भाजपा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देती है, लेकिन जब एक महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ने आती है, तो उसे चुनाव प्रक्रिया से बाहर करने की साजिश रची जाती है।”
पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष आशीष यादव ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “यह पूरी तरह से लोकतंत्र के खिलाफ उठाया गया कदम है। भाजपा को जनता के फैसले का सम्मान करना चाहिए, न कि चुनाव में बाधा डालने के लिए ऐसी साजिशें करनी चाहिए।”
भाजपा ने किया आरोपों को खारिज
हालांकि, भाजपा विधायक भूलन सिंह मरावी ने कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि “कांग्रेस हार के डर से निराधार आरोप लगा रही है। चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी है। किसी भी प्रत्याशी का नामांकन रद्द करने का अधिकार निर्वाचन आयोग के पास है, और यह तय मानकों के आधार पर ही किया गया है। भाजपा का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं है।”
निर्वाचन आयोग का बयान
इस पूरे मामले पर रिटर्निंग ऑफिसर शिवानी जायसवाल ने स्पष्ट किया कि “निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित नियमों के तहत सभी नामांकनों की जांच की गई थी। जांच के दौरान संबंधित प्रत्याशियों के दस्तावेजों में कमी पाई गई, जिसके कारण उनका नामांकन रद्द किया गया। यह पूरी तरह से नियमानुसार की गई कार्रवाई है, इसमें किसी भी प्रकार की राजनीतिक हस्तक्षेप की बात गलत है।”
सियासी सरगर्मी तेज
नामांकन रद्द होने के इस घटनाक्रम के बाद बिश्रामपुर में राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश देखा जा रहा है, वहीं भाजपा अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला क्या मोड़ लेता है और चुनावी नतीजों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।