रायपुर।
जब सरहद पर हालात गर्म होते हैं, तो दूर बैठी सरजमीं भी सतर्क हो जाती है। भारत-पाकिस्तान के बीच एक बार फिर कूटनीतिक और सामरिक तनातनी ने देशभर की सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट मोड पर डाल दिया है। इसका असर अब छत्तीसगढ़ में भी साफ दिखने लगा है — जहाँ एक तरफ पुलिसकर्मियों की छुट्टियाँ रोक दी गई हैं, वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट की गर्मियों की छुट्टियाँ भी ठंडी पड़ गई हैं।
पुलिसकर्मियों की छुट्टियाँ तत्काल प्रभाव से स्थगित
राज्य सरकार ने सभी जिलों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं — “स्थिति सामान्य नहीं है, सतर्क रहना ही सुरक्षा की पहली शर्त है।” ऐसे में छत्तीसगढ़ पुलिस के जवानों को छुट्टी अब सिर्फ ‘अति-आवश्यक’ कारणों में ही दी जाएगी। इसका सीधा मतलब है कि अब हर सिपाही को हर मोर्चे पर तैनात रहना होगा।
हाईकोर्ट की समर वेकेशन पोस्टपोन
यह पहली बार है कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गर्मी की छुट्टियाँ सुरक्षा कारणों से आगे बढ़ा दी हैं। यह फैसला न्यायपालिका की संवेदनशीलता और बदलते माहौल की गंभीरता दोनों को दर्शाता है। अदालत अब नियत तिथियों पर सुनवाई जारी रखेगी और आवश्यक मामलों को प्राथमिकता दी जाएगी।
सिर्फ सीमा पर नहीं, भीतर भी ‘वॉच मोड’
छत्तीसगढ़, भले ही सीमावर्ती राज्य न हो, लेकिन रणनीतिक दृष्टि से यह अंदरूनी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। बीते समय में नक्सल गतिविधियों और संवेदनशील जिलों को देखते हुए, राज्य पहले ही सतर्क श्रेणी में रखा जाता रहा है। भारत-पाक तनाव के चलते अब यहां भी हर संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।
सवाल उठते हैं, तैयारी ज़रूरी है
क्या यह सतर्कता एक सामान्य प्रक्रिया है या भविष्य के किसी बड़े घटनाक्रम का पूर्वाभास? यह कहना मुश्किल है, लेकिन एक बात तय है — अब सुरक्षा सिर्फ सीमाओं की ज़िम्मेदारी नहीं, राज्यों और संस्थानों की भी साझा जिम्मेदारी बन चुकी है।
राज्य कंट्रोल रूम एक्टिव, इंटेलिजेंस नेटवर्क सख़्त
सूत्रों के मुताबिक, राज्य का इंटेलिजेंस नेटवर्क पूरी तरह सक्रिय कर दिया गया है और संभावित संवेदनशील इलाकों में निगरानी बढ़ा दी गई है। साथ ही, जिला स्तरीय कंट्रोल रूम को अलर्ट पर रखा गया है।