Sunday, June 29, 2025
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एक हाथ में बंदुक तो दूसरे मे हल, कड़ी मेहनत ने बंजर भूमि को बना दिया हरा

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रिपोर्ट / विजय शर्मा / 09424276400
00 sdop राजेन्द्र सिंह परिहार ने कायम की मिसाल
00 दूसरे पुलिसकर्मियों को भी कर रहे प्रेरित
कोण्डागांव / जय जवान जय किसान इस कहावत को सही कर रहा हैं। जिले का एक पुलिस अधिकारी फरसगांव विकासखण्ड में पदस्थ पुलिस अनुविभागीय अधिकारी राजेन्द्र सिंह परिहार मिसाल बन चुका हैं। थाने के पिछे ही अपने शासकीय आवास में खाली पड़ी लगभग 1 एकड़ भूमि पर पूरी तरह देशी खाद और देशी बीज के सहारे विभिन्न सब्जीयों की पैदावार ले रहे हैं। साथ ही दूसरे पुलिस कर्मचारीयों को भी इसके गुणों स अवगत कराते हुये उन्हें भी देशी पैदावार लेने के लिये प्रेरित कर रहे। संवेदनशील क्षेत्र फरसगांव के अंदरूनी क्षेत्रों में नक्सली गोलाबारी मुठभेड़ के बाद खाली बचे समय मे एक पुलिस अधिकारी अपने आवास के सामने पड़ी खाली बंजर भूमि को स्वंय अपनी मेहनत से फसल लेने लायक बनाया अब वहां देशी खाद देशी बिज के सहारे विभिन्न सब्जीयों की पैदावार लेने बाकी पुलिस कर्मीयों को भी कर रहे प्रेरित। विभिन्न प्रकार के गुलाबो के पौधे एंव सब्जीयां भी उपलब्ध हैं यहां। इसके अलावा दुर्लभ प्रकार की औषधी पौधों की भी कर रहे खेती।

Picture 004देशी औषधीयों के भी हैं जानकार –
यही नही अपनी खाली पड़ी भूमि हेतु सब्जी के लिये बनायी गयी क्यारीयों की जगह का भी किया हैं। भरपूर उपयोग दुर्लभ किस्म की औषधीयां भी लगायी हैं। जिसमें गरीब और विभिन्न बिमारियों से पिड़ित लोगो को निःशुल्क जड़ी बुटीयों के साथ उनके सेवन की भी देते हैं जानकारी।
ये सब्जीयां ले रहे –
मूली गोभी, बरबटी, सेमी, लाल भाजी, टमाटर, अरहर, बैगन, मक्का सभी सब्जीयां थोड़ी-थोड़ी जगह पर लगाई हैं। पूरी तरह देशी बीज और देशी खाद के सहारे ।
Picture 001अधिकारी की देखकर –
आस पास के लोग भी जो थाना परिसर में रहते है जो पडोसी पुलिसकर्मी है वो भी अब इनके खेती से प्रभावित होकर अपनी खाली पडी जमीन जो थेाडा बहुत है उसमे सब्जीयों की खेती ले रहे है ।
sdop rajendr singh  pariharक्या कहते है राजेन्द्र परिहार एसडीओपी पुलिस –
आजकल जो भी सब्जीयां बाजार में निकलती है उसमे स्वाद नही मिलता विदेशी खाद और हाईबी्रड्र बीज से पैदावार करते है । इसको खाने से सेहद पर भी बुरा असर पड सकता है । मेरी शुरू से खाली समय मिलने से साग सब्जी लगाने का शौक रहा है और दुसरा देशी खाद से निकला सब्जी का अलग आन्नद है थोडी सुबह मेहनत करता हु और जब समय मिले तब अपने बाडी में ही समय देता हुं मुझे ये अच्छा लगा की मेरे आसपास के लोग मेरी खेती देख कर प्रेरीत होकर सब्जी लगाने लगे।

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