रिपोर्ट / अजय लाल
(फाईल फोटो)
00 इलाज के लिए ग्रामीण दूसरे राज्यों में कर रहें है पलायन
00 चिकित्सालय में स्मार्ट कार्ड भी काम नही करता
00 गरीब किसान अपने स्वयं के खर्चे से ईलाज कराने को मजबुर
00 CM साहब के दावे खोखले निकले
00 कौन सुनेगा किसको सुनाए ये अपनी दास्तां
सूरजपुर / जिले के दूरस्थ ग्रामो मे शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ ग्रामवासियों को नही मिल पा रहा है, इन क्षेत्रों मे अधिकारी ही नही बल्कि जनप्रतिनिध भी निरंतर सूध नही ले रहें है। बताया जाता है कि चुनावी रंग देने के लिए इन दूरस्थ क्षेत्रो में जनप्रतिनिधि कुछ पल के लिए पहुॅचते है, लेकिन उनके द्वारा किए गए वायदें भी आज तक आधा-अधूरा ही है। विकासखण्ड़ ओड़गी मे एैसे कई ग्राम पंचायत है जहां शासन की महत्वकांक्षी योजना दम तोड़ते नजर आ रही है। बताया जाता है कि इस विकासखण्ड़ में बारिश के दिनो में ग्रामीणो को बीमारी से मौत और जिंदगी के बीच लड़ते देखे जाते है। शासन के द्वारा इन क्षेत्रों में अच्छे चिकित्सा सुविधा नही मिलने के कारण ग्रामीणों को ईलाज के लिए दूसरें राज्य को पलायन करते देखा गया है। वही चिकित्सालय में 108 वाहन नही रहने के कारण ग्रामीणो को अपने स्वयं की वाहन से किराया कर दूसरे राज्य में ईलाज कराने को मजबुर है।
विदित हो की विकासखण्ड़ ओड़गी के ग्राम पंचायत बिहारपुर, मोहली व मोहरसोप, खोड़, कोलुवा में अधिकांश रूप से आदिवासी व पण्डो जनजाति के लोग निवासरत है। विलुप्त होते इन जनजातियों के लिए शासन ने अभी तक एैसा कोई सुविधा मुहैया नही करा पाया है। जिससे ग्रामीणों को इस विकराल समस्या से निजात मिल सके।

नही मिला 108 वाहन अपने खर्चे से परिजन अन्य राज्य पलायन कर रहें है –
उल्लेखनीय है कि बिहारपुर में 01 स्वास्थ्य केन्द्र, मोहली व मोहरसोप में 01-01 उपस्वास्थ्य केन्द्र है, लेकिन जब मरीज बीमारी से पीड़ित होता है तो उसे ईलाज के लिए बहार ले जाने के लिए वाहन की कोई सुविधा उपलब्ध नही रहता, एैसे स्थिती मे मरीज के परिजन अपने स्वयं के खर्चे से वाहन किराया कर मरीज को बहार ले जाते है। बताया जाता है कि इन क्षेत्रों में अभी तक मरीजो को लाने ले जाने के लिए शासन से 108 वाहन उपलब्ध नही है। वही उक्त क्षेत्र से गंभीर मरीजो को अम्बिकापुर मेडिकल कालेज लाने के लिए 165 किमी की दूरी तय करना पडता है। ऐसी स्थिती में उक्त क्षेत्र से ग्रामीण मध्यप्रदेश के लिए पलायन होते देखे गये है।
मरीजो का स्मार्ट कार्ड भी हुआ बेकार –
गरीबी की दंश क्षेल रहें इन ग्राम पंचायतो के ग्रामीणो का हाल इतना बुरा है कि विकराल बीमारी में भी स्मार्ट कार्ड अन्य राज्यों में काम नही करता, एैसे स्थिती में परिजनों को अपने स्वयं के खर्चे से बीमारों का ईलाज कराना पड़ता है। यह बताना लाजमीं है कि विगत वर्ष इसी क्षेत्र में मलेरिया बीमारी से लगभग 36 लोग मौत के काल में समा गए थे। जिसमें 32 पण्डो जनजाति के लोगो की मौत हुई थी।

इन ग्राम पंचायतो में नही मिला मुक्तांजलि वाहन, समाजसेवी ने भी नही किया अब तक कोई पहल –
जानकारी के अनुसार किसी भी मरीज की मृत्यु स्वास्थ्य केन्द्र या उपस्वास्थ्य में होता है, तो उसका शव ले जाने के लिए मुक्तांजलि वाहन उपलब्ध नही रहने के कारण मरीज के परिजनों को अपने स्वयं के व्यवस्था के तहत शव को घर तक लाया जाता है। कभी स्थिती एैसी निर्मीत हो जाता कि मरीज या शव को चार पाई पर रखकर ले जाते भी देखा गया है। इन क्षेत्रों में जिले के अग्रणी समाजसेवीयों ने भी कभी पहल करने की नही सोची जिसके चलते इस क्षेत्र में निवासरत ग्रामीण आज भी कई कठिनाईयों के दौर से गुजर रहें है।
क्या कहते है अधिकारी –
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ0 एस.पी. वैश्य का कहना है कि दूररथ ग्राम पंचायतो में वाहन नही है, उक्त ग्राम पंचायतो में वाहनो के लिए शासन को पत्र लिखा जा चुका है। वही ओड़गी विकासखण्ड़ के दूरस्थ ग्राम पंचायत उमझर, खोड़, कोलुवा, बिहारपुर व मोहरसोप के मरीजो के लिए विशेष वाहन व्हीआईआईटी वाहन की सुविधा का प्रस्ताव भेजा जा चुका है, मरीजो के लिए आने वाले स्पेशल वाहन में सोनोग्राफी मशीन, इसीजी, लैंब सहित अन्य मेडिकल सुविधा उपलब्ध रहेगें। डॉ0 वैश्य ने बताया कि शीध्र ही मरीजो को उनके मुसीबत से निजात मिलेगा।
