कोरिया / जिले का गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में लगी आग की चिंगारी अब राजधानी तक पहुँच चुकी है।जिले के जनप्रतिनिधि भी पार्क अधिकारियों के इस लापरवाही पूर्ण रवैये के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं।
आपको बता दे कि कुछ दिनों पूर्व समूचे उद्यान क्षेत्र के अलग अलग हिस्सों में आग लगी हुई थी।जिससे सैकड़ो हेक्टेयर वन क्षेत्र आग की चपेट में आने की वजह से जलकर खाख हो गया।बेपरवाह अधिकारी कर्मचारी सिर्फ कागजों में ड्यूटी करते है वास्तविकता से उन्हें कोई लेना देना नही रहता है।गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान के संचालक भी दफ्तर से बाहर बहुत कम अपरिहार्य कारणों से ही निकलते है।इस लिए सच्चाई उन तक पहुँच ही नही पाती।
जानकारी के अनुसार इन दिनों पूरे पार्क परिक्षेत्रों में ज्यादातर प्रभारी अधिकारी ही सेवा प्रदान कर रहे है।सेवा के नाम पर खाना पूर्ति करने वाले ऐसे लापरवाह प्रभारियों के भरोसे पार्क अंतर्गत पूरा वन क्षेत्र के अलावा वन्य जीवों का जीवन दांव में लगा हुआ है।यही नही सूत्र बताते हैं कि विगत वर्षों पूरे पार्क परिक्षेत्र में लगभग 5 करोड़ रुपये की लागत से लेंटाना उन्मूलन कार्य कराया गया था।जिसमे बड़ी गड़बड़ी की होने की आशंका शुरू से ही व्यक्त की जा रही थी। कई बार पूरे पार्क क्षेत्र में हुए लेंटाना उन्मुलन की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई लेकिन वर्षों से पदस्थ पार्क संचालक के स्टेनो द्वारा जो ड्राफ्ट बना कर दिया जाता है उसे ही संचालक द्वारा हस्ताक्षर कर आवेदकों को दिया जाता है।और जानकारी देने से बचते हुए बहाने बनाते आवेदन खारिज कर दिया।वर्तमान में इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों को की गई है जहां तक जानकरी है इस पूरे मामले की जांच लंबित है,हो सकता है भविष्य में जांच उपरांत बडी कार्रवाई हो सके लेकिन अधिकारी आग के बहाने अपने किये पर पर्दा डालने अवसर की तलाश में है।इन दिनों जिस कदर पार्क क्षेत्रो में आग लगी हुई है और अधिकारी उसे बुझाने में कोई दिलचस्पी नही दिखा रहे उससे ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि जिन क्षेत्रो में लेन्टाना कार्य सिर्फ कागजों में हुए उन क्षेत्रो में यह आग अधिकारियों को बचाने में कहीं न कहीं संजीवनी का काम करेगी।