रायपुर | छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े CGMSC घोटाले का जिन्न अब पूरी तरह बाहर आ चुका है। जिस घोटाले को मुद्दा बनाकर भाजपा सत्ता में आई थी, अब उसी घोटाले के सूत्रधारों को करोड़ों का भुगतान करने की खबर ने पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
कांग्रेस-भाजपा दोनों के दौर में बांटे गए करोड़ों!
जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस सरकार के दौरान 2021 से 2023 के बीच मोक्षित कॉरपोरेशन को 450 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। भाजपा सरकार बनने के बाद 329.04 करोड़ रुपये बकाया था, लेकिन 50 करोड़ रुपये का भुगतान नई सरकार ने भी कर दिया।
अब सवाल उठता है कि जिस घोटाले पर भाजपा ने चुनाव लड़ा और कांग्रेस को घेरा, उसी कंपनी को खुद भुगतान क्यों किया गया?
EOW और ACB ने कस लिया शिकंजा
इस मामले में अब EOW और ACB की जांच तेज हो चुकी है। हाल ही में मोक्षित कॉरपोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए ठेका लिया और स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों की धांधली की।
अब अधिकारी भी जांच के दायरे में!
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इतने बड़े भुगतान की मंजूरी किसने दी? अब जांच की आंच CGMSC के बड़े अधिकारियों पर भी पड़ने लगी है। खबरों के मुताबिक, कुछ अफसरों ने जानबूझकर इस टेंडर को पास किया और भुगतान को तेजी से मंजूरी दी। EOW जल्द ही कई पूर्व और मौजूदा अधिकारियों से पूछताछ करने वाली है।

900 करोड़ से भी बड़ा हो सकता है घोटाला!
सूत्रों का कहना है कि यह घोटाला 300 करोड़ का नहीं बल्कि 900 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का हो सकता है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, नए नाम और बड़े आंकड़े सामने आ सकते हैं।
अब देखना होगा कि क्या छत्तीसगढ़ के लुटेरे सप्लायर्स और भ्रष्ट अफसरों पर गाज गिरेगी, या फिर यह मामला भी सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी बनकर रह जाएगा?
राजनीति और घोटालों का रिश्ता पुराना है—विपक्ष में रहते हुए जो घोटाला लगता है, सत्ता में आते ही वही ‘लेन-देन’ बन जाता है!
