Thursday, June 12, 2025
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“होलिस्टिक हेल्थ सेमिनार: शरीर, मन और आत्मा के समग्र संतुलन की दिशा में एक सशक्त पहल”

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डॉ. अखिलेश साहू ने दिया जीवनशैली में समग्र परिवर्तन का मंत्र

रायपुर। आधुनिक जीवनशैली ने जहां तकनीकी प्रगति के नए द्वार खोले हैं, वहीं मानसिक तनाव, असंतुलित आहार और शारीरिक निष्क्रियता जैसे कारकों ने जीवन को रोगों के गर्त में भी धकेल दिया है। इसी पृष्ठभूमि में जेसीआई रायपुर कैपिटल द्वारा मंगलवार को एक अद्वितीय होलिस्टिक हेल्थ सेमिनार का आयोजन वृन्दावन हॉल, सिविल लाइन्स, रायपुर में किया गया, जिसमें प्रख्यात होलिस्टिक हेल्थ विशेषज्ञ डॉ. अखिलेश साहू, जो विश्व के पहले फिजियो है, जिनके नाम है ०4 अलग चिकित्सा पद्धतियों में 06 मास्टर्स व डबल पी.एच.डी का वर्ल्ड रिकॉर्ड। 16 सालों के अनुभव के साथ ये बेस्ट सेलिंग बुक “द सीटिंग पांडेमिक: सीटिंग किल्स मूविंग हिल्स” के लेखक भी है। इनकी दूसरी किताब “वाइब्रेट हॉयर टू गेट हॉयर” भी जल्दी ही आने वाली है। डॉ.अखिलेश साहू ने लोगों को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक संतुलन बनाए रखने की व्यावहारिक एवं वैज्ञानिक विधियाँ बताईं।

कार्यक्रम की शुरुआत और स्वागत समारोह

कार्यक्रम का शुभारंभ शाम 7 बजे दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुआ। अतिथियों का स्वागत जेसीआई रायपुर कैपिटल के चैप्टर इंचार्ज जेसी श्रीकांत पारख, अध्यक्ष श्री सिद्दार्थ मुकीम, सचिव श्री गौरव कोटड़िया तथा कार्यक्रम संयोजक जे सी पीयूश चिमनानी ने किया। कार्यक्रम में रायपुर शहर के गणमान्य नागरिक, चिकित्सक, शिक्षा जगत से जुड़े लोग, छात्रों, गृहिणियों और वरिष्ठ नागरिकों की भारी उपस्थिति रही। लगभग 100 से अधिक लोगों ने इस आयोजन में भाग लिया, जिससे लोगों की स्वास्थ्य के प्रति जिज्ञासा और जागरूकता स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुई।

होलिस्टिक हेल्थ: एक समग्र दृष्टिकोण

मुख्य वक्ता डॉ.अखिलेश साहू, जो कि विगत दो दशकों से होलिस्टिक हेल्थ, फिजियोथेरेपी(भौतिक चिकित्सा), माइंड मेडिसिन, योग और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में कार्यरत हैं, ने अपने उद्बोधन में बताया कि “होलिस्टिक हेल्थ का अर्थ केवल शारीरिक स्वास्थ्य नहीं, बल्कि मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का सामूहिक संतुलन है।”

उन्होंने कहा कि “हमारा शरीर कोई मशीन नहीं है जिसे केवल पुर्जों के बदलने से ठीक किया जा सकता है। यह एक जीवंत प्रणाली है, जिसमें शरीर, विचार, भावनाएँ और आत्मा परस्पर गहराई से जुड़े हुए हैं। जब तक हम केवल लक्षणों का इलाज करते रहेंगे, तब तक हम संपूर्ण स्वास्थ्य की दिशा में आगे नहीं बढ़ पाएंगे।”

जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता

डॉ. साहू ने बताया कि वर्तमान युग की प्रमुख बीमारियाँ – जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, थायरॉइड, मोटापा, अनिद्रा, अवसाद, यहाँ तक कि कैंसर तक – मुख्यतः हमारी बिगड़ती जीवनशैली, असंतुलित खानपान, मानसिक तनाव, और भावनात्मक कुंठा के परिणाम हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यदि व्यक्ति समय रहते अपनी जीवनशैली में समग्र दृष्टिकोण अपनाकर सुधार कर ले, तो न केवल इन बीमारियों से बचा जा सकता है, बल्कि पहले से ग्रस्त व्यक्ति भी अपनी स्थिति को काफी हद तक नियंत्रित कर सकता है।

कार्यक्रम की रूपरेखा “फिजिकल, फिजियोलॉजिकल व मेंटल वेलनेस(माइंड ऐंड बॉडी)” को ध्यान में रखकर बनाया गया था। जिसमें निम्न प्राकृतिक आयामों को अपनाकर हम किस तरह से एक लंबी व स्वास्थ्य से समृद्ध जीवन जी सकते है ये बताया गया। जो इस प्रकार है:

• अर्थ एस मेडिसिन : डॉ.अखिलेश साहू में बताया कि आज तक जितनी भी बीमारियां है उनमें एक कॉमन चीज है “इन्फ्लेमेशन(दर्द, सूजन, लालिमा)” जिसमें हमारी कोशिकाओं में प्रोटॉन व न्यूट्रॉन तो होते है पर इलेक्ट्रॉन कि कमी हो जाती है जिन्हें फ्री रेडिकल्स कहते है। इन्हीं फ्री रेडिकल्स से शरीर में इन्फ्लेमेशन हो जाता है। हमारी धरती इलेक्ट्रॉनस का भंडार है और जैसे हम खाली पैर धरती के संपर्क में आते है, हमारा शरीर इलेक्ट्रॉन्स को अवशोषित करने लगता है, जिससे हमारी कोशिकाओं की चार्जिंग हो जाती है। एक सामान्य व्यक्ति को 7-8 घंटे धरती से जुड़े रहना चाहिए जिसके लिए पूरे रात आप आर्थिंग मैट का उपयोग कर सकते है।

• टाइम एस मेडिसिन (समय ही दवाई है): हमारे शरीर में बायोलॉजिकल घड़ी होती है, जिससे हमारे शरीर में हार्मोंस का सही तरह से संचालन होता है। बाहर के सूर्य से हमारे अंदर का सूर्य (जठराग्नि) जुड़ा हुआ होता है। जब हम सूर्य के रहते भोजन कर लेते है तो वह भोजन अच्छे से पच जाता है। पर जब हम देर रात के समय भोजन करते है तो वह ठीक से पच नहीं पाता जिससे हमारे शरीर में बहुत सारे टॉक्सिंस इकट्ठा होने लगता है जो बीमारियों का कारण बनता है।

• वॉटर एज मेडिसिन (पानी एक दवाई): पानी तो हम सब बहुत पीते ही होंगे, पर क्या पानी आपके शरीर में एब्जॉर्ब (अवशोषित) हुआ यह सबसे बड़ा सवाल है। इस पर डॉ.अखिलेश साहू ने बताया कि जिस तरह से खेती में ड्रिप पद्धति से पौधों को पानी बूंद बूंद दिया जाता है, जिसमें पानी भी कम लगता है और ग्रोथ भी अच्छी होती है। ठीक इसी तरह से हमारा शरीर भी है, एक ब्लास पानी या कोई भी जूस एक बार में न पीकर यदि हम उसे 15 मिनिट्स में सीप सीप करके पिए तो उसका अवशोषण सही तरीके से हो पाता है, जिससे हमारा शरीर टॉक्सिंस कि सफाई अच्छे से कर पति है। साथ ही खाने के 45 मिनिट्स पहले व 1:30 घंटे के बाद ही पानी लेना चाहिए। सुबह उठते ही सबसे पहले वॉर्म पानी लेना चाहिए।

• पोस्चर एस मेडिसिन (मुद्रा एक दवाई): आज के समय में लंबे समय तक एक पोजीशन में बैठना या खड़ा रहना हमर जीवनशैली बन चुकी है। इसका नुकसान कमर दर्द, घुटने कि समस्या, गायनेकोलॉजिकल प्रॉब्लम्स, वेरिकोज वेंस के रूप में देखा जा सकता है। स्टैंडिंग किचेन, वेस्टर्न टॉयलेट्स व चेयर सीटिंग की जगह हम पुराने किचेन व टॉयलेट्स जिसमें उकड़ू पोजीशन में बैठा करते थे, साथ ही लॉट कुर्सी की जगह आलथी पालथी (क्रॉस लेग) में बैठते थे जो उन्हें स्वस्थ्य रखता था। आजकल मोबाइल में लोग सर झुकाके घंटो बैठते ही, जिससे हमारी आँखें, सर्वाइकल पेन व मेंटल प्रॉबलम काफी बढ़ गई है।फिजियोथेरेपी से हम पोस्चर को ठीक करके उचित समाधान दे पाते है।

• वाइब्रेशन एस मेडिसिन (स्पंदन एक दवाई) : कॉस्मिक व प्राण ऊर्जा जो हमारे मन व शरीर का भोजन है। साउंड थेरेपी, ध्यान व प्रणायाम से हम अपने जीवन ऊर्जा को बढ़ाकर एक स्वास्थ्य मन व शरीर को प सकते है, साथ ही तनाव व अवसाद (डिप्रेशन) से बाहर आ सकते है। गहरी स्वास और खुले आसमान में रहकर बीमारियों से दूर रह सकते है।

वास्तविक जीवन के उदाहरण और प्रेरक प्रसंग

अपने व्याख्यान को रोचक और व्यावहारिक बनाने के लिए डॉ. अखिलेश साहू ने अनेक केस स्टडीज और रियल लाइफ एक्सपीरियंस साझा किए। एक महिला, जिन्हें 10 वर्षों से माइग्रेन की समस्या थी, केवल नादयोग, श्वसन तकनीकों और सकारात्मक सोच के अभ्यास से इस समस्या से मुक्ति पा गई। एक अन्य केस में, 65 वर्षीय व्यक्ति ने बिना दवाओं के मधुमेह पर नियंत्रण पाया। इन उदाहरणों ने श्रोताओं में आशा और विश्वास का संचार किया।

प्रैक्टिकल सेशन: ध्यान और श्वसन अभ्यास

सेमिनार का दूसरा सत्र व्यावहारिक था, जिसमें डॉ.अखिलेश साहू ने सभी प्रतिभागियों के चक्रों व औरा का असेसमेंट कर 30 मिनट का साउंड थेरेपी, 25 हीलिंग ब्रेथ व गाइडेड मेडिटेशन जैसी तकनीकों का अभ्यास कराया और इनके स्वास्थ्य लाभों को विस्तार से समझाया।

उन्होंने बताया कि केवल 15 से 20 मिनट का ध्यान प्रतिदिन न केवल मस्तिष्क को शांति देता है, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, रक्तचाप नियंत्रित करने और चिंता को दूर करने में भी सहायक होता है।

स्वस्थ आहार पर जोर

डॉ. अखिलेश साहू ने “तुम वही हो जो तुम खाते हो” इस सिद्धांत को दोहराते हुए कहा कि हमारी थाली ही हमारी औषधि बन सकती है। उन्होंने संतुलित आहार, मौसमी फल, अंकुरित अनाज, हर्बल चाय और प्राकृतिक पेय पदार्थों के सेवन को बढ़ावा देने की सलाह दी। उन्होंने प्रोसेस्ड फूड, अधिक चीनी, तली-भुनी चीजों से दूरी बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

मन की शुद्धता और सकारात्मक सोच

उन्होंने बताया कि आज की सबसे बड़ी बीमारी “सोच की बीमारी” है। हम जैसे सोचते हैं, वैसा ही महसूस करते हैं और वैसा ही व्यवहार करते हैं। यदि हम सकारात्मक सोच अपनाएँ, कृतज्ञता महसूस करें और क्षमा का अभ्यास करें, तो अनेक मानसिक विकार स्वतः दूर हो जाते हैं।

आयोजन की सराहना और प्रतिक्रिया

कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. रवि जायसवाल, वरिष्ठ कैंसर फिजिशियन ने कहा, “यह सेमिनार एक प्रकार से स्वास्थ्य जागरूकता की नई क्रांति है। डॉ. साहू ने जिस सरलता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जटिल विषयों को समझाया, वह अत्यंत प्रशंसनीय है।”

श्रीमती पायल मुकीम, जो कि एक गृहिणी हैं, ने कहा, “मैंने पहली बार जाना कि ध्यान और श्वसन हमारे जीवन में कितना परिवर्तन ला सकता है। मैं आज से ही नियमित अभ्यास शुरू करूंगी।”

रितेश साहू ने बताया, “यह सेमिनार न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि मेरे जीवन की दिशा भी तय करने वाला रहा।”

कार्यक्रम के समापन पर जेसीआई रायपुर कैपिटल की ओर से डॉ. अखिलेश साहू को विशेष सम्मान चिन्ह और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त सभी प्रतिभागियों को भागीदारी प्रमाणपत्र भी दिए गए। संस्था ने भविष्य में भी ऐसे जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की प्रतिबद्धता जताई।

अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ मुकीम ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कहा, “हमें गर्व है कि हमने इस आयोजन के माध्यम से समाज को एक उपयोगी दिशा देने का प्रयास किया। आज की व्यस्त और तनावग्रस्त दुनिया में होलिस्टिक हेल्थ की अवधारणा लोगों के लिए जीवनदायिनी साबित हो सकती है।”

यह सेमिनार न केवल एक आयोजन था, बल्कि एक आंदोलन की शुरुआत था – एक ऐसे आंदोलन की, जो शरीर से परे मन और आत्मा को भी स्वस्थ रखने की प्रेरणा देता है। डॉ. अखिलेश साहू द्वारा दी गई सीखों ने लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति गंभीर होने और समग्र जीवनशैली को अपनाने की दिशा में प्रेरित किया।

अब समय है कि हम केवल बीमारियों का इलाज न करें, बल्कि उन्हें जीवनशैली द्वारा रोकने का प्रयास करें। यही सच्ची चिकित्सा है, यही होलिस्टिक हेल्थ का सार है।

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