RTI से खुलासा: गाड़ियों का बीमा सिर्फ कागज़ों में, असली पैसे – नकली पॉलिसी!
चार साल से चल रहा खेल, न पॉलिसी नंबर, न कंपनी का नाम, न बारकोड असली
चिरिमिरी।
नगर निगम चिरिमिरी में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। RTI कार्यकर्ता की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि निगम की गाड़ियों का बीमा कागज़ों पर तो किया गया, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है। बीमा दस्तावेजों में न तो पॉलिसी नंबर हैं, न बीमा कंपनी का नाम और न ही बारकोड असली है।
आरटीआई कार्यकर्ता राकेश सिंह ने वर्ष 2023-24 में नगर निगम से सभी गाड़ियों के बीमा दस्तावेज मांगे थे। जवाब में जो कागजात मिले, उन्हें देखकर उन्होंने खुद को ठगा महसूस किया। “दस्तावेजों में कोई वैध जानकारी नहीं थी, और जो बारकोड दिए गए थे, उन्हें स्कैन करने पर किसी और गाड़ी का विवरण सामने आ रहा था। इसका मतलब साफ है कि असली पैसे लेकर फर्जी बीमा दिया गया,” राकेश सिंह ने बताया।
मंजिता ई-सेल्युशन फर्म पर उठे सवाल
नगर निगम की फाइलों के अनुसार, वर्ष 2023 में 45 और 2024 में 57 वाहनों का बीमा किया गया था। यह कार्य लगातार चार वर्षों से ‘मंजिता ई-सेल्युशन CSC सेंटर’ नामक फर्म को दिया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि इतने लंबे समय से एक ही फर्म को काम सौंपा गया, लेकिन दस्तावेज़ों की कभी कोई वैधता जांच नहीं की गई।
नगर निगम अफसरों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में
जब इस मामले में नगर निगम आयुक्त राम प्रसाद आचला और महापौर राम नरेश राय से जवाब मांगा, तो उन्होंने सिर्फ जांच की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। सवाल यह है कि क्या बिना अंदरूनी मिलीभगत के इतना बड़ा फर्जीवाड़ा संभव है?
जनता के पैसों से मज़ाक
इस घोटाले से यह सवाल उठता है कि नगर निगम में पारदर्शिता और जवाबदेही आखिर कहां है? बीमा जैसे संवेदनशील मामलों में इस तरह की लापरवाही, और उस पर भी चार साल तक लगातार – यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं मामला केवल लापरवाही का नहीं, बल्कि सुनियोजित घोटाले का है।
क्या कार्रवाई होगी या फिर दब जाएगा मामला?
अब देखना यह होगा कि इस मामले में कार्रवाई होती है या नहीं। क्या दोषियों के चेहरे उजागर होंगे? या फिर यह घोटाला भी कागज़ों में ही दबा दिया जाएगा?
