Saturday, January 25, 2025
बड़ी खबर संविदा कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, नियमितीकरण पर सुप्रीम...

संविदा कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, नियमितीकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी मुहर…

-

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में पिछले करीब 10 साल से संविदा और अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण का मुद्दा सियासी गलियारों में खूब गूंज रहा है। नियमितीकरण की मांग को लेकर कई बार कर्मचारी आंदोलन भी कर चुके हैं। अगर पिछली भूपेश सरकार की बात करें तो उन्होंने कर्मचारियों से वादा किया था कि सत्ता में आते ही संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा, लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी कांग्रेस ने अपना वादा पूरा नहीं किया। लेकिन इस बीच कल सुप्रीम कोर्ट ने संविदा कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला दिया है।

दरअसल गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में विजय कुमार गुप्ता सहित 98 कर्मचारी दैनिक वेतनभोगी के तोर पर कार्यरत थे। ये सभी कर्मचा​री विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से करीब 10 साल या उससे अधिक समय से कार्यरत थे। साल 2008 में सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से इन सभी कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश जारी किया था। जारी आदेश के अनुसार 10 साल या उससे ज्यादा समय तक सेवा चुके कर्मचारियों को नियमित किया जाना था। इस आदेश के परिपालन में उच्च शिक्षा संचालक ने भी 26 अगस्त 2008 को विभाग में कार्यरत ऐसे कर्मियों को स्ववित्तीय योजना के तहत नियमितीकरण और नियमित वेतनमान देने का आदेश दिया। मार्च 2009 तक इन्हें नियमित वेतन भी दिया गया। इसके बाद बिना किसी जानकारी या सूचना दिए यूनिवर्सिटी ने नियमित वेतन देना बंद कर दिया था।

कर्मचारियों को सुनवाई का अवसर दिए बिना ही उन्हें कलेक्टर दर पर वेतनमान देने का आदेश जारी कर दिया। इसके साथ ही 10 फरवरी 2010 को तत्कालीन रजिस्ट्रार ने 22 सितंबर 2008 को जारी शासन के नियमितीकरण को भी निरस्त कर दिया। रजिस्ट्रार के इस आदेश को चुनौती देते हुए कर्मचारियों ने अधिवक्ता दीपाली पाण्डेय के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें बताया गया कि गुरु घासीदास विवि को राज्य सरकार से केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में स्वीकार किया गया है। लिहाजा, राज्य शासन के अधीन कार्यरत सभी कर्मचारियों को उसी स्थिति में केंद्रीय विश्वविद्यालय में शामिल करना चाहिए, जिस स्थिति में कर्मचारी राज्य विश्वविद्यालय में कार्यरत थे। लेकिन, यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया।

इस मामले की लंबी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने बीते 22 नवंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिस पर 6 मार्च को कोर्ट ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाया। साथ ही याचिका स्वीकार करते हुए कोर्ट ने उन्हें पूर्व की तरह नियमितीकरण की तिथि से नियमित कर्मचारी के रूप में सभी लाभ का हकदार घोषित किया। दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी अपने हक की लड़ाई को लेकर पिछले 11 साल से संघर्षरत हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ यूनिवर्सिटी ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दिया। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच हुई। सभी पक्षों को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने कहा कि दो दशकों से अधिक समय से काम कर रहे दैनिक वेतनभोगियों को नियमित करने के मामले में हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई मजबूत आधार नहीं है। इसलिए याचिका खारिज की जाती है।

Latest news

पत्रकारिता विश्वविद्यालय की “पत्रकारिता” पर सवाल: 26 जनवरी को मनेगा स्वतंत्रता दिवस

रायपुर।छत्तीसगढ़ के कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में इस बार गणतंत्र दिवस...

चिरमिरी निकाय चुनाव: क्या डमी कैंडिडेट बनेगा ‘सियासी शतरंज’ का प्यादा?

चिरमिरी/ चिरमिरी नगर निगम चुनाव का सियासी पारा आसमान छू रहा है। हर...

गणतंत्र दिवस के लिए ये हैं यातायात व्यवस्था – चेक कर ले तब पहुचेंगे

रायपुर। आगामी 26 जनवरी को राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड में गणतंत्र...

बीजापुर: मुतवेंडी-पीड़िया मार्ग पर 5-5 किग्रा के 2 IED बरामद, मौके पर नष्ट

बीजापुर ।थाना गंगालूर क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने माओवादियों के नापाक इरादों पर पानी फेरते हुए एक...
- Advertisement -

108 एंबुलेंस सेवा की तत्परता से महिला का सुरक्षित प्रसव, जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ

बलरामपुर।एक बार फिर 108 एंबुलेंस सेवा की तत्परता ने जीवन रक्षा का उत्कृष्ट...

नक्सल उन्मूलन अभियान: नारायणपुर में 9 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

नारायणपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति और पुलिस के नक्सल उन्मूलन अभियान से...

Must read

You might also likeRELATED
Recommended to you

error: Content is protected !!