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कॉम्बिंग ऑपरेशन के दौरान मुठभेड़, छह नक्सली ढेर

कुख्यात नक्सली हिडमा ढेर: पत्नी राजे सहित 6 माओवादी मारे गए
आंध्र–छत्तीसगढ़ सीमा पर बड़ी सफलता, PLGA बटालियन-01 का कमांडर था हिडमा


जगदलपुर, 18 नवम्बर |
दक्षिण बस्तर के सबसे वांछित और खूंखार माओवादी कमांडर माडवी हिडमा को सुरक्षा बलों ने मंगलवार को एक बड़ी मुठभेड़ में ढेर कर दिया। आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले के मारेडुमिल्लो मंडल में हुए इस ऑपरेशन में हिडमा की पत्नी और दंडकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी सदस्य मडकम राजे सहित छह माओवादी मारे गए।


यह सफलता पूरे बस्तर रेंज में चल रहे माओवादी विरोधी अभियान की अब तक की सबसे निर्णायक उपलब्धि मानी जा रही है।


कॉम्बिंग ऑपरेशन के दौरान मुठभेड़, छह नक्सली ढेर
आंध्र प्रदेश पुलिस की विशेष टीमें मंगलवार सुबह मारेडुमिल्लो क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन चला रही थीं, तभी घने जंगल में छिपे माओवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवानों की जवाबी कार्रवाई में छह नक्सली मौके पर ही मारे गए।


मारे गए नक्सलियों की पहचान इस प्रकार हुई—
माडवी हिडमा – सेंट्रल कमेटी सदस्य, PLGA बटालियन-01 कमांडर
मडकम राजे – DKSZC सदस्य (हिडमा की पत्नी)
लक्मल – DCM
कमलू – PPCM
मल्ला – PPCM
देवे – व्यक्तिगत अंगरक्षक (हिडमा का)
मुठभेड़ के बाद क्षेत्र की घेराबंदी कर तलाशी अभियान जारी है।


भारी मात्रा में हथियार–गोला बारूद बरामद
मुठभेड़ स्थल से सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर हथियार और विस्फोटक बरामद किए हैं। इनमें शामिल हैं—
AK-47 राइफल – 02
पिस्टल – 01
रिवॉल्वर – 01
सिंगल-बोर हथियार – 01
बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री, डेटोनेटर, वायरिंग और IED के पार्ट्स
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बरामद विस्फोटक यह संकेत देते हैं कि माओवादी सीमा क्षेत्र में किसी बड़े हमले की तैयारी में थे, जिसे सुरक्षा बलों ने रोक दिया।


कौन था हिडमा: दंडकारण्य का सबसे खूंखार माओवादी
हिडमा, जिसे हिडमन्ना, हिडमालू और देवा नामों से भी जाना जाता था, सुकमा जिले के जगरगुंडा थाना क्षेत्र के पुरवाटी गांव का निवासी था।
● 1991 में बाल संघम कैडर के रूप में संगठन में शामिल हुआ
● तेजी से रैंक बढ़ाते हुए PLGA बटालियन नंबर–01 का कमांडर बना
● सेंट्रल कमेटी तक पहुंचने वाला सबसे युवा और निर्दयी माओवादी माना जाता था
हिडमा के नाम पर कई बड़े हमलों का संचालन होने का संदेह है। वर्षों से वह सुरक्षा बलों के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण और अनट्रेसेबल कैडर माना जाता था।


पत्नी राजे भी शीर्ष नेतृत्व में थी शामिल
मडकम राजे (राजक्का) 1994–95 में बाल संगठन की सदस्य के रूप में माओवादी नेटवर्क में आई थी। वर्षों में उसने कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं—
ACM जगारगुंडा (2002–03)
किस्तारम ACM (2006–07)
पलाचलमा LOS कमांडर (2008)
बटालियन मोबाइल पॉलिटिकल स्कूल की शिक्षिका (2009)
MOPOS इंचार्ज व BNPC बटालियन कमेटी सदस्य
राजे हिडमा की सबसे करीबी रणनीतिक सहयोगी मानी जाती थी।


IG बस्तर का बयान: “लगातार सुरक्षा दबाव ने तोड़ी माओवादियों की कमर”
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पट्टलिंगम ने बताया कि बीते महीनों में बस्तर व सीमा क्षेत्रों में लगातार और समन्वित कार्रवाई के कारण हिडमा और उसका मुख्य दल अपने परंपरागत ठिकाने छोड़ने को मजबूर हुए थे।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार गिरोह पिछले कई महीनों से कारेगुट्टा पहाड़ियों और छत्तीसगढ़–तेलंगाना सीमा के जंगलों में भटक रहा था। 18 नवंबर को उनकी यह भागदौड़ समाप्त हो गई।


माओवादी आंदोलन को बड़ा झटका—शांति बहाली की दिशा में अहम कदम
अधिकारियों का मानना है कि हिडमा की मौत माओवादी संगठन की नेतृत्व संरचना को गहरा धक्का देगी।
बस्तर समेत तीन राज्यों में उसकी सक्रियता ने लंबे समय तक सुरक्षा चुनौतियां खड़ी की थीं।
अब सुरक्षा एजेंसियों को उम्मीद है कि
मुख्यधारा में लौटने की प्रक्रिया तेज होगी,
संगठन की ऑपरेशनल क्षमता और कमजोर पड़ेगी
और सीमा क्षेत्र में शांति बहाली मजबूत होगी।


18 नवम्बर 2025 की यह कार्रवाई माओवादी विरोधी अभियान के इतिहास में मील का पत्थर मानी जा रही है। इससे न सिर्फ प्रदेश में सुरक्षा की स्थिति मजबूत होगी, बल्कि दंडकारण्य क्षेत्र में चल रहे मिशन-शांति को भी नई गति मिलने की उम्मीद है।

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