00 देश में दो धड़ों में बहस शुरू है – मोदी समर्थक और मोदी विरोधी
मोदी भक्तों की एक विशिष्ट प्रजाति है जिसमें शिक्षा का बहुत अभाव है। वे अंधभक्ति से इतने लबरेज हैं कि अच्छा बुरा कुछ भी नहीं समझते और तुरंत गाली गलौच और निजी टिप्पणी शुरू कर देते हैं। असल में मोदी की रीढ़ की हड्डी यही प्रजाति है। दूसरी ओर मोदी का साथ देने वाला एक पढ़ा लिखा वर्ग है जोकि तथ्यों को समझता है और तार्किक बात करता है न कि गाली गलौच और निजी टिप्पणी।
राहुल गांधी के अनुयायी ये बताने में असफल रहते हैं कि काँग्रेस पार्टी ने देश के लिए क्या किया। जिस तरह से मोदी समर्थक काँग्रेस नेताओं की कमियों को गिनाते हैं उस प्रकार राहुल समर्थक भाजपा नेताओं की कमियां नहीं गिना पाते। कुछ लोग कोशिश भी करते हैं पर भक्तों की गाली गलौच के कारण उन्हें अनफ्रेंड या फिर ब्लॉक करने में ही अपनी भलाई समझते हैं।
मोदी विरोधी लोग अपनी राय सोशल मीडिया पर रखते हैं तो मोदी समर्थक उनसे तर्क वितर्क करते हैं लेकिन जब सफल नहीं हो पाते तब उन्हें काँग्रेसी कहकर नेहरू जी, इंदिरा जी, राजीव जी, सोनिया जी, प्रियंका जी और राहुल गांधी पर टिप्पणी शुरू कर देते हैं।
अब जब जनता सही गलत के फर्क को न समझते हुए आपस में ही लड़ती रहेगी तो कोई न कोई फायदा तो जरूर उठाएगा और इतिहास इस बात का गवाह है कि अंग्रेजों ने भी इसी बात का फायदा उठाकर भारत पर राज किया था।
ऐसा नहीं है कि काँग्रेस, भाजपा या कोई भी राजनीतिक दल दूध के धुले हैं लेकिन भारत की जनता को आपस में लड़ना छोड़ कर देश हित पर ध्यान देना चाहिए।
