चिरमिरी। नगर निगम चुनाव से ठीक पहले चिरमिरी में पानी का संकट सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है। कांग्रेस सरकार ने जलवर्धन योजना के नाम पर 39 करोड़ रुपये खर्च करने का दावा किया, लेकिन हकीकत यह है कि हजारों घरों तक अब भी पानी नहीं पहुंचा। प्यास से बेहाल जनता इस बार सिर्फ वादों पर नहीं, बल्कि हकीकत पर वोट देने का मन बना रही है।
हैंडपंप और टैंकर बने जीवन रेखा
चिरमिरी के कई इलाकों में स्थिति इतनी खराब है कि लोग टुरा (हैंडपंप और अस्थायी जल स्रोत) के भरोसे जी रहे हैं। टैंकरों से पानी खरीदने को मजबूर लोग अब सवाल उठा रहे हैं –
“अगर 39 करोड़ रुपये पानी के लिए खर्च हुए, तो पानी कहां गया?”
जलवर्धन योजना: 39 करोड़ का हिसाब दो!
नगर निगम ने हसदेव नदी से अरूणी बांध और सरभोंका के जरिए पानी लाने की योजना बनाई थी। लेकिन हकीकत यह है कि…
✅ लाखों रुपये पाइपलाइन बिछाने पर खर्च हुए, फिर भी लीकेज से पानी बर्बाद हो रहा है।
✅ जगह-जगह अधूरे प्रोजेक्ट पड़े हैं, लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं।
✅ कांग्रेस नेता अब पानी संकट हल करने की बात कर रहे हैं, लेकिन जनता कह रही है – “अब और नहीं!”
विपक्ष का हमला: “पानी नहीं, सिर्फ घोटाला हुआ!”
भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोला है। भाजपा नगर निगम चुनाव प्रभारी अमित त्रिपाठी ने कहा –
“पिछले 5 सालों में कांग्रेस ने सिर्फ भ्रष्टाचार किया। 39 करोड़ रुपये पानी के नाम पर डकार लिए गए, लेकिन जनता अब भी प्यास से बेहाल है।”
स्थानीय निवासी संजय वर्मा ने भी गुस्सा जताते हुए कहा –
“हर बार चुनाव में कांग्रेस पानी की समस्या सुलझाने का वादा करती है, लेकिन नतीजा शून्य! इस बार हम वादों पर नहीं, बल्कि काम पर वोट देंगे।”
कांग्रेस की सफाई: “साजिश कर रही भाजपा!”
भाजपा के हमलों के बाद कांग्रेस भी बचाव की मुद्रा में आ गई है। कांग्रेस नेता रवि मिश्रा का कहना है –
“भाजपा झूठ फैला रही है। हमारी सरकार ने पानी आपूर्ति के लिए कई कदम उठाए हैं। जल्द ही समस्या खत्म होगी, जनता अफवाहों पर ध्यान न दे!”
11 फरवरी: जनता देगी पानी पर वोट!
चिरमिरी में 11 फरवरी को मतदान होना है, और जल संकट अब सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है।
✔ क्या कांग्रेस जनता को मना पाएगी?
✔ या फिर गुस्साई जनता सत्ता परिवर्तन कर देगी?
✔ क्या भाजपा इस मुद्दे का फायदा उठा पाएगी?
चुनाव का रंग चढ़ चुका है, जनता का मूड गरम है – अब देखना यह है कि 11 फरवरी को चिरमिरी के लोग “विकास” पर वोट देंगे या “प्यास” पर?