नई दिल्ली, 13 फरवरी: संसद में मंगलवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पेश किया गया, जिसे लेकर सदन में भारी हंगामा हुआ। लोकसभा में जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल और राज्यसभा में मेघा कुलकर्णी ने विधेयक को पेश किया। विपक्षी दलों ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया और आरोप लगाया कि सरकार वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को कमजोर करने का प्रयास कर रही है।
संशोधनों के साथ कैबिनेट को भेजा जाएगा विधेयक
जेपीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस विधेयक में कुल 14 संशोधन किए गए हैं, जिन्हें 15-11 के बहुमत से मंजूरी दी गई। हालांकि, विपक्ष ने इन संशोधनों पर आपत्ति जताते हुए सरकार पर मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों पर हमला करने का आरोप लगाया। कई विपक्षी सांसदों ने जेपीसी में असहमति पत्र भी प्रस्तुत किया। अब यह संशोधित विधेयक कैबिनेट को भेजा जाएगा। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इसे बजट सत्र के दूसरे चरण में, 10 मार्च के बाद, एक बार फिर संसद में पेश किया जाएगा और पारित कराने का प्रयास होगा।
विपक्ष का आरोप: वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता खतरे में
विपक्षी दलों का कहना है कि विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ाएगा, जिससे वक्फ बोर्ड की स्वतंत्रता प्रभावित होगी। कांग्रेस, टीएमसी, एआईएमआईएम और अन्य विपक्षी दलों ने इसे “मुस्लिम संस्थाओं पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश” करार दिया है।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “सरकार वक्फ बोर्ड को सरकार के अधीन करना चाहती है, जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर सीधा हमला है।” वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “यह विधेयक असंवैधानिक है और वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता छीनने की कोशिश है।”
सरकार का पक्ष: पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की कोशिश
सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा, “यह विधेयक अनियमितताओं को खत्म करने के लिए लाया गया है और इससे वक्फ बोर्ड का प्रशासन बेहतर होगा।”
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री स्मृति ईरानी ने भी कहा कि विधेयक का मकसद वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और उनके कुशल प्रबंधन को सुनिश्चित करना है।
क्या हैं मुख्य संशोधन?
संशोधित वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 में निम्नलिखित प्रमुख प्रावधान किए गए हैं:
- वक्फ संपत्तियों की निगरानी को मजबूत किया जाएगा, जिससे उनका दुरुपयोग रोका जा सके।
- वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए नए नियम लागू किए जाएंगे।
- राज्य सरकारों को वक्फ संपत्तियों के मामलों में अधिक अधिकार दिए जाएंगे।
- वक्फ संपत्तियों की बिक्री, हस्तांतरण और लीज़ पर कड़े नियम लागू किए जाएंगे।
सरकार को अब इस विधेयक को कैबिनेट से मंजूरी दिलाने के बाद संसद में पारित कराने की चुनौती होगी। विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस विधेयक के खिलाफ जोरदार विरोध जारी रखेगा। ऐसे में यह मुद्दा संसद के आगामी सत्र में गरमाया रह सकता है।