रायपुर। अमेरिका द्वारा भारत को लेकर जारी की गई ताज़ा ट्रैवल एडवाइजरी ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में उबाल ला दिया है। नक्सल हिंसा और सुरक्षा हालात के मद्देनजर अमेरिका ने अपने नागरिकों को छत्तीसगढ़ समेत कुछ राज्यों में सतर्कता बरतने की सलाह दी है। इस एडवाइजरी के बहाने राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने-सामने आ गए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा–
“ये है अमृतकाल? प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से दोस्ती का यही सिला है? छत्तीसगढ़ की कानून व्यवस्था बेहद खराब स्थिति में है और केंद्र सरकार पूरी तरह नाकाम है।”
पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने भी अमेरिका की एडवाइजरी को गंभीरता से लेने की बात कही और कहा कि राज्य को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बदनाम होने से बचाना होगा।
वहीं, बीजेपी ने कांग्रेस नेताओं पर करारा पलटवार किया है। प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने कहा–
“कांग्रेस के नेता अपने ही प्रदेश को बदनाम करने में जुटे हैं। ऐसे बयान राज्य की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं। कांग्रेस को चाहिए कि वे घर बैठकर टिप्पणियाँ करने की बजाय जमीनी काम करें।”
भाजपा नेताओं ने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था में निरंतर सुधार हुआ है और अब छत्तीसगढ़ उन राज्यों में नहीं आता जहां हालात बेकाबू हों। मगर कांग्रेस अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी प्रदेश को पीछे दिखाने की राजनीति कर रही है।
क्या है अमेरिकी एडवाइजरी में?
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी इस एडवाइजरी में भारत के कुछ राज्यों को लेकर अलग-अलग श्रेणियों में चेतावनी दी गई है। जहां जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में यात्रा से बचने को कहा गया है, वहीं छत्तीसगढ़, झारखंड और मणिपुर जैसे राज्यों में यात्रा के दौरान सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
नतीजा – कानून-व्यवस्था बहस के केंद्र में
अमेरिका की इस एडवाइजरी ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ की कानून व्यवस्था को बहस के केंद्र में ला खड़ा किया है। जहां विपक्ष इसे अमृतकाल की असलियत बता रहा है, वहीं सत्तापक्ष इसे कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति बता रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गरमा सकता है।